नई दिल्ली, 03 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने गांधीवादी मार्ग पर चलने वाले सोनम वांगचुक को बचाने के लिए देश के लोगों से एकजुट होकर आवाज उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को बापू की जयंती थी और विजय दशमी पर रावण दहन भी। देश में रावण के रास्ते पर चलते हुए मोदी सरकार ने अन्याय का और गांधी जी के रास्ते पर चलते हुए सोनम वांगचुक ने अहिंसा का मार्ग चुना है। गांधी जी की गोडसे ने हत्या कर दी, हम नहीं बचा पाए। अगर गांधीवादी सोनम वांगचुक को बचाना चाहते हैं तो सब मिलकर आवाज उठाएं।
संजय सिंह ने कहा कि सोनम वांगचुक ने भारत की सेना को कड़कती ठंड से बचाने के लिए सोलर टेंट का आविष्कार किया। उन्होंने लद्दाख के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहतरीन शिक्षा का इंतज़ाम किया, लद्दाख को पूर्ण राज्य देने की मांग को लेकर अनेकों बार आमरण अनशन किया और हजारों किलोमीटर की पदयात्रा की। उन्हें रैमन मैग्सेसे पुरस्कार समेत देश और दुनिया के तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ऐसे सोनम वांगचुक का समर्थन धरना, प्रदर्शन, अनशन, वीडियो बनाकर और सोशल मीडिया पर लिखकर किसी भी रूप में हो सकता है। ऐसे सच्चे देशभक्त के लिए 1 कदम आगे बढ़ाएं, वरना किसी को भी पाकिस्तानी, खालिस्तानी, बांग्लादेशी, आतंकवादी घोषित करके जेल में डाल दिया जाएगा।
शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया पर अपील भरा एक वीडियो साझा कर संजय सिंह ने कहा कि गुरुवार (2 अक्टूबर) का दिन एक अनूठा संयोग लेकर आया। गुरुवार को विजय दशमी का पावन त्यौहार था और पूरे देश में रावण का दहन हुआ। रावण दहन के माध्यम से हजारों वर्ष पुरानी परंपरा हमें सिखाती है कि अन्याय और अत्याचार करने वाले का समाज विरोध करेगा और अपने मन के गुस्से का खुलकर प्रदर्शन करेगा। इसलिए रावण जला और उसी दिन अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी थी।
संजय सिंह ने कहा कि एक तरफ रावण के रास्ते पर चलने वाली सरकार है, जो अन्याय, अत्याचार और जुल्म कर रही है। दूसरी तरफ गांधी जी के अहिंसक रास्ते पर चलने वाले सोनम वांगचुक जैसे सच्चे देशभक्त हैं, जिन्होंने देश के लिए अनगिनत आविष्कार किए और मैग्सेसे समेत कई वैश्विक पुरस्कारों से सम्मानित हुए। सोनम वांगचुक ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए, जैसे सैनिकों के लिए सोलर टेंट, जो माइनस 15-20 डिग्री तापमान में भी अंदर +15 डिग्री का आरामदायक तापमान प्रदान करता है। इसके अलावा, वे एक स्कूल चलाते हैं, जहां असफल और कमजोर बच्चों को नई दिशा दी जाती है। संजय सिंह ने सवाल उठाया कि ऐसे व्यक्ति का गुनाह क्या है, जो वर्षों से लद्दाख के लिए छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे हैं? यह मांग न तो नाजायज है और न ही गलत, फिर भी सरकार ने उनकी अहिंसक मांगों को अनसुना किया।
संजय सिंह ने कहा कि 2019 में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत अधिकार देने का वादा किया था। जब सोनम वांगचुक ने इस मांग को लेकर अनशन शुरू किया और लोगों का गुस्सा फूटा, तो सरकार ने उन्हें अधिकार देने के बजाय उन पर आंसू गैस, लाठियां और गोलियां चलाकर प्रदर्शनकारियों को दबाने की कोशिश की। यहां तक कि 30 दिन तक पाकिस्तान की सेना से लोहा लेने वाले कारगिल के एक योद्धा को मोदी सरकार की पुलिस ने गोलियों से भून दिया। उनके पिता भी सेना में थे और बेटा आर्मी स्कूल में पढ़ता है।
संजय सिंह ने पूछा कि चीन की सीमा से सटे लद्दाख के लोगों के अधिकारों को कुचलकर मोदी सरकार क्या संदेश देना चाहती है? उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाइयां लद्दाख के लोगों को अपने खिलाफ खड़ा कर रही हैं, जिसका जिम्मेदार केवल रावण के रास्ते पर चलने वाली मोदी सरकार है। उन्होंने बताया कि सोनम वांगचुक को झूठे आरोपों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत जेल में डाल दिया गया है और उनके परिवार का उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।
संजय सिंह ने देशवासियों से सवाल किया कि क्या गांधीवादी और अहिंसावादी रास्ते पर चलना अब गुनाह हो गया है? उन्होंने कहा कि सरकार और उसकी ट्रोल आर्मी सोनम वांगचुक जैसे देशभक्त पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा रही है, जैसे कि वे देशद्रोही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वांगचुक ने “बॉयकॉट चाइना” अभियान में भारत का साथ दिया था और यूएन के पर्यावरण कार्यक्रम में हिस्सा लेने पर उन्हें देशद्रोही ठहराया जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह वही सरकार है, जो नवाज शरीफ को गले लगाती है और सी जिनपिंग को झूला झुलाती है, लेकिन देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांटने का हक केवल उसी को है।
संजय सिंह ने कहा कि चाहे किसान आंदोलन हो, नौजवानों का रोजगार के लिए प्रदर्शन हो, या एसएससी पेपर लीक के खिलाफ आंदोलन, सरकार हर जायज मांग को दबाने के लिए लाठियां, आंसू गैस और मुकदमों का सहारा लेती है। उन्होंने मेहराज मलिक का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें भी पीएसए के तहत जेल में डाल दिया गया। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि अब चुप रहने का समय नहीं है। चाहे एक दिन का अनशन हो, धरना हो, सोशल मीडिया पर पोस्ट या कोई अन्य तरीका हो, सोनम वांगचुक जैसे गांधीवादी लोगों के लिए आवाज उठानी होगी। ।
संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस अन्याय के खिलाफ फैसला सुनाए और झूठे आरोपों में जेल में बंद सोनम वांगचुक को रिहा करे। उन्होंने कहा कि वांगचुक का परिवार सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा रहा है, ताकि देश में लोकतंत्र और अहिंसा के प्रति लोगों का भरोसा बना रहे। यह रावण के रास्ते पर चलने वाली सरकार के खिलाफ गांधीवादी और अहिंसावादी तरीके से आवाज उठाने का समय है।






