Navratri Special: नवरात्र का समय मां दुर्गा की भक्ति और साधना के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान देवी की कृपा पाने के लिए कई साधक दुर्गा कवच का पाठ करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह कवच मां का सुरक्षा घेरा है, जो नकारात्मक शक्तियों और ग्रह दोषों से रक्षा करता है।
दुर्गा कवच की मान्यता : पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गा कवच का उपदेश स्वयं ब्रह्मा जी ने महर्षि मार्कण्डेय को दिया था। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका पाठ करता है, उसे मां दुर्गा की शक्ति प्राप्त होती है। कवच के प्रभाव से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में आने वाली बाधाओं का सामना करने की शक्ति मिलती है।
शनि, राहु-केतु और ग्रह दोषों पर असर : दुर्गा कवच का पाठ खासकर शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने वाला माना गया है। ज्योतिष मान्यता है कि यह ग्रह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिससे जीवन में संघर्ष बढ़ता है। लेकिन कवच के नियमित पाठ से इनके बुरे प्रभाव कम होते हैं।
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जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष या मांगलिक दोष है, उन्हें भी इससे लाभ मिलता है।
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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान यह कवच राहत पहुंचाता है और मन को स्थिरता देता है।
स्वास्थ्य और विवाह संबंधी लाभ : धार्मिक मान्यता है कि दुर्गा कवच का पाठ करने से न सिर्फ ग्रह दोष कम होते हैं, बल्कि यह सेहत पर भी सकारात्मक असर डालता है।
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लगातार बीमारियों से जूझ रहे लोग इस पाठ से आंतरिक शक्ति पाते हैं।
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विवाह से जुड़ी बाधाओं और रिश्तों में आने वाली अड़चनों को दूर करने में भी यह सहायक माना गया है।
भारतीय धार्मिक परंपराओं में कवचों और स्तोत्रों का बड़ा महत्व है। इन्हें आध्यात्मिक कवच कहा जाता है, जो साधक को नकारात्मक शक्तियों और अशुभ ग्रहों से बचाते हैं। दुर्गा कवच, मार्कण्डेय पुराण का हिस्सा है और नवरात्र जैसे शुभ समय में इसका पाठ और भी फलदायी माना जाता है।
मुख्य बातें
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नवरात्र में दुर्गा कवच का पाठ करने से शनि, राहु और केतु का नकारात्मक असर कम होता है।
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यह कवच कालसर्प दोष, मांगलिक दोष और अन्य ग्रह दोषों को भी शांत करता है।
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इसके पाठ से सेहत में सुधार और जीवन में आत्मबल बढ़ता है।
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विवाह से जुड़ी बाधाएं और शनि साढ़ेसाती के संकट भी कम होते हैं।
डिस्क्लेमर- (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)






