Arvind Kejriwal House Case: दिल्ली (Delhi) के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सरकारी आवास दिलाने के लिए उनकी पार्टी को एक बार फिर अदालत का सहारा लेना पड़ा है। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान ‘आप’ की ओर से कहा गया कि कोर्ट के हस्तक्षेप से पार्टी को दफ्तर तो मिल गया, लेकिन पार्टी प्रमुख को आवास अब तक नहीं मिला है। अदालत ने मामले की सुनवाई 25 अगस्त तक के लिए टाल दी है।
गुरुवार को जस्टिस सचिन दत्ता (Justice Sachin Dutta) की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान ‘आप’ के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा (Rahul Mehra) ने दलील दी कि पार्टी प्रमुख होने के नाते अरविंद केजरीवाल नियमों के तहत सरकारी आवास के हकदार हैं। उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले पार्टी के पास अपना दफ्तर भी नहीं था, जिसे अदालत के हस्तक्षेप से दिलवाया गया। अब उसी तरह आवास की मांग को भी पूरा किया जाना चाहिए।
मामले की पृष्ठभूमि
अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें आवंटित सरकारी बंगला खाली कर दिया था और फिलहाल वे राज्यसभा सांसद के आवास में रह रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने प्रमुख को आवास उपलब्ध कराने की मांग की थी। भारतीय राजनीति में सरकारी आवास का मुद्दा कई बार विवाद का विषय रहा है, खासकर तब जब यह पूर्व पदाधिकारियों या दल प्रमुखों से जुड़ा हो। यह मामला भी उसी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें अब अदालत का निर्णय अहम साबित हो सकता है।






