Undeclared Emergency under Modi Government — कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने देश में चल रहे वर्तमान राजनीतिक हालातों को लेकर बड़ा बयान देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आपातकाल (Emergency) के 50 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित कर रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) वास्तव में जनता का ध्यान अपनी विफलताओं से हटाना चाहती है। खरगे ने आरोप लगाया कि भले ही 1975 की आपातकाल खत्म हो चुकी हो, लेकिन आज मोदी सरकार (Modi Government) के शासन में एक ‘अघोषित आपातकाल’ चल रहा है।
नई दिल्ली (New Delhi) में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री के कारण ही आज देश में संविधान संकट में है। उन्होंने व्यंग्य किया कि जो लोग संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) के संविधान को रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) में जलाते थे, वे अब ‘संविधान बचाओ’ की बात कर रहे हैं।
खरगे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके पूर्वजों का न आजादी के आंदोलन (Freedom Movement) में योगदान रहा और न संविधान निर्माण में, वे आज संविधान की बात कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस (Congress) लगातार संविधान बचाओ यात्रा निकाल रही है और भाजपा इसी से घबराई हुई है। उन्होंने सरकार पर महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नोटबंदी और काले धन जैसे मुद्दों पर विफल रहने का आरोप लगाया।
उन्होंने चुनाव आयोग (Election Commission) की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह अब सरकार के हाथों की कठपुतली बन गया है। खरगे ने आरोप लगाया कि कुछ ही महीनों में वोटर लिस्ट में 6-8 प्रतिशत की बढ़ोतरी कैसे हो गई, जबकि सामान्यत: 5 साल में ही 5 प्रतिशत इजाफा होता है।
मीडिया की स्वतंत्रता पर बोलते हुए खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष किया और कहा कि आज तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, उन्होंने मीडिया से संवाद किया, सवालों का जवाब दिया, लेकिन ये महाशय (PM Modi) केवल चुने हुए पत्रकारों से ही बात करते हैं और सवाल पहले से तय होते हैं। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की जगह अब एकतरफा भाषणों और प्रचार का दौर चल रहा है।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कहा कि भारत का कोई भी नागरिक उस दौर को नहीं भूलेगा जब संविधान और उसके सिद्धांतों का दमन हुआ था। उन्होंने अपनी सरकार की संविधान को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
मगर खरगे के अनुसार, वर्तमान में जो माहौल है वह लोकतंत्र नहीं, एक ‘अघोषित आपातकाल’ जैसा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि सरकार की नीयत साफ है तो मीडिया के सवालों से क्यों भागा जा रहा है? क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है?






