नई दिल्ली (New Delhi) 20 जनवरी (The News Air): केंद्रीय बजट 2025 (Union Budget 2025) को पेश करने से पहले वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) में हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) की परंपरा निभाई गई। यह सेरेमनी भारतीय बजट प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर साल बजट पेश करने से पहले होने वाली यह परंपरा उत्साह और गोपनीयता के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
क्या है हलवा सेरेमनी? : हलवा सेरेमनी वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक (North Block) के बेसमेंट स्थित बजट प्रेस (Budget Press) में आयोजित होती है।
- इसमें बड़े कढ़ाही में हलवा तैयार किया जाता है।
- इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और अन्य अधिकारियों के बीच बांटा जाता है।
- इसके बाद बजट दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है।
यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि बजट का अंतिम चरण शुरू हो चुका है।
बजट की गोपनीयता और अधिकारियों की बंदिशें : हलवा सेरेमनी के बाद गोपनीयता बनाए रखने के लिए
- बजट छपाई में शामिल 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बंद हो जाते हैं।
- बजट पेश होने तक उनका बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से काट दिया जाता है।
- यह प्रक्रिया बजट लीक (Budget Leak) की संभावनाओं को रोकने के लिए होती है।
हलवा सेरेमनी का महत्व और उद्देश्य : भारतीय परंपरा में किसी शुभ काम से पहले मिठाई बांटना एक शुभ संकेत माना जाता है।
- यह सेरेमनी बजट बनाने में महीनों से काम कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों का सम्मान करने के लिए होती है।
- यह परंपरा माहौल को सकारात्मक और उत्साहपूर्ण बनाती है।
हलवा सेरेमनी का इतिहास : हलवा सेरेमनी की शुरुआत दशकों पहले हुई थी। यह परंपरा भारतीय संस्कृति और परंपराओं को वित्तीय प्रक्रियाओं से जोड़ती है।
- 2022 में कोविड-19 (COVID-19) महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था और बजट डिजिटल रूप से पेश किया गया।
- 2023 में इसे फिर से शुरू किया गया और पारंपरिक तरीके से हलवा तैयार किया गया।
बजट 2025 की तैयारियां : इस साल भी हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई का काम शुरू हो चुका है। वित्त मंत्री 1 फरवरी 2025 को आम बजट पेश करेंगी।
- इस बार का बजट डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मेट में होगा।
- हलवा सेरेमनी के साथ बजट प्रक्रिया का अंतिम चरण अब पूरा हो चुका है।
हलवा सेरेमनी भारतीय बजट प्रक्रिया का न केवल एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि इसे सांस्कृतिक और पारंपरिक पहलुओं से जोड़ती है। यह परंपरा न केवल बजट की गोपनीयता को सुनिश्चित करती है, बल्कि इसमें शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों का सम्मान भी करती है।
1 फरवरी 2025 को जब बजट पेश होगा, तब यह सेरेमनी इसके सफल समापन का प्रतीक बनेगी।