नागपुर (Nagpur) 20 जनवरी (The News Air): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान, जिसमें उन्होंने राम मंदिर निर्माण को “असली आजादी” बताया था, पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बयान के खिलाफ कांग्रेस ने हाल ही में नागपुर स्थित RSS मुख्यालय तक मार्च निकाला। लेकिन पार्टी के 60 युवा नेता इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए, जिससे कांग्रेस को सख्त कदम उठाने पड़े।
कौन से नेता हुए ऐक्शन का शिकार? : कांग्रेस हाईकमान ने गैरहाजिर नेताओं के खिलाफ ऐक्शन लेते हुए उन्हें उनके पदों से हटा दिया।
- इनमें 8 महासचिव (General Secretaries), 20 सचिव (Secretaries), और जिलाध्यक्ष (District Presidents) शामिल हैं।
- प्रमुख नामों में शिवानी वडेट्टीवार (Shivani Wadettiwar), केतन ठाकरे (Ketan Thakre), अनुराग भोयर (Anurag Bhoyar), और मिथिलेश कन्हेरे (Mithilesh Kanhere) शामिल हैं।
- इन नेताओं का निलंबन आदेश महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस के प्रभारी अजय चिकारा (Ajay Chikara) ने जारी किया।
प्रदर्शन में क्या हुआ? : 19 जनवरी को नेशनल यूथ कांग्रेस (National Youth Congress) के नेतृत्व में प्रदर्शन आयोजित किया गया था। इस मार्च का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु (Uday Bhanu) और महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट कुणाल रावत (Kunal Raut) ने किया।
- प्रदर्शनकारियों ने RSS मुख्यालय के पास नारेबाजी की और मोहन भागवत के बयान पर कार्रवाई की मांग की।
- उदय भानु ने भागवत के बयान को स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया।
मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस का विरोध : मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण को “असली आजादी” बताया था।
- कांग्रेस का कहना है कि यह बयान महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), भगत सिंह (Bhagat Singh), और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान है।
- कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भारत की आजादी स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष की देन है, न कि किसी धार्मिक घटना की।
पार्टी को क्यों उठाना पड़ा सख्त कदम? : कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात पर निराशा हुई कि इतने महत्वपूर्ण प्रदर्शन में पार्टी के 60 युवा नेता शामिल नहीं हुए।
- इन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों का दोषी मानते हुए निलंबित किया गया।
- इनमें कुछ नेता वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के परिवार से भी हैं, जिससे पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता था।
कांग्रेस का यह प्रदर्शन न केवल RSS और मोहन भागवत के खिलाफ था, बल्कि पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता पर भी सवाल उठाने वाला साबित हुआ। पार्टी के इस सख्त कदम ने यह संकेत दिया है कि नेतृत्व किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा। यह देखना होगा कि आने वाले समय में पार्टी अपने युवा नेताओं को फिर से कैसे संगठित करती है।