फरीदकोट (Faridkot), 16 जनवरी (The News Air) पंजाब सरकार (Punjab Government) ने फरीदकोट जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग (Faridkot Water Supply and Sanitation Department) में हुए बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा करते हुए चार वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) (Executive Engineer) जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh), उप-मंडल अधिकारी (एसडीओ) (Sub-Divisional Officer) संदीप सिंह (Sandeep Singh), कनिष्ठ अभियंता (जेई) (Junior Engineer) परविंदर सिंह (Parvinder Singh), और वरिष्ठ सहायक तारा सिंह (Senior Assistant Tara Singh) शामिल हैं।
क्या हुआ था घोटाले में? : विभाग को मिली शिकायत के मुताबिक, इन अधिकारियों पर रखरखाव के लिए आवंटित धनराशि (allocated funds for maintenance) का दुरुपयोग करने और फर्जी बिल (fake bills) लगाने का आरोप था। इन अधिकारियों ने अवैध भुगतान (illegal payments) कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।
इस गंभीर मामले की जांच के लिए होशियारपुर (Hoshiarpur) के निगरान इंजीनियर से जांच करवाई गई। जांच में वित्तीय अनियमितताओं (financial irregularities) का पता चला, और उसके आधार पर पंजाब सिविल सेवाएं (सजा व अपील) नियमावली 1970 (Punjab Civil Services (Punishment and Appeal) Rules, 1970) के तहत इन अधिकारियों का निलंबन किया गया।
निलंबन और कार्रवाई : पंजाब सरकार (Punjab Government) ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए निलंबित अधिकारियों को पटियाला (Patiala) स्थित मुख्य अभियंता (दक्षिण) कार्यालय (Chief Engineer, South Office) और मुख्य अभियंता (केंद्रीय) कार्यालय (Chief Engineer, Central Office) में प्रतिनियुक्त किया। निलंबन की अवधि के दौरान इन अधिकारियों को अन्य जिम्मेदारियों के तहत काम करने को कहा गया है।
नौकरशाही में सुधार के संकेत : यह मामला पंजाब सरकार के लिए एक चेतावनी है कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग (proper utilization of government funds) किया जाना चाहिए। इस कार्रवाई से यह भी संदेश जाता है कि भविष्य में सरकारी विभागों में होने वाली अनियमितताओं पर सख्त नजर रखी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जांच और कानूनी कार्रवाई जारी : पंजाब सरकार (Punjab Government) ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घोटाले के मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई (legal action) की जाएगी, और इसमें शामिल सभी अधिकारियों को कठोर सजा दी जाएगी। यह घोटाला सरकारी विभागों में पारदर्शिता और सही वित्तीय संचालन की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करता है।