“किसानों की आवाज़ राष्ट्रपति तक नहीं पहुंची, SKM का बड़ा बयान! जानें क्यों हो सकता है बड़ा आंदोलन”

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नई दिल्ली, 06 जनवरी (The News Air): संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) द्वारा समय की कमी के कारण किसानों के प्रतिनिधिमंडल से न मिल पाने पर गहरा खेद व्यक्त किया है। SKM ने इस मामले पर राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की उम्मीद जताई है, खासकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) किसान संकट के समाधान में अब तक असफल रहे हैं।

पिछले 41 दिनों से अनशन पर किसान नेता : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) पिछले 41 दिनों से अनशन पर हैं, और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। किसानों की मांगें, जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और ऋण माफी, अब भी अधूरी हैं। SKM का कहना है कि सरकार की उदासीनता ने उन्हें संघर्ष के रास्ते पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है।

किसानों के सामने गहराते संकट : SKM ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, उत्पादन की लागत तेजी से बढ़ रही है, और बढ़ते कर्ज के कारण आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा, बेरोजगारी और नव-उदारवादी नीतियों के चलते किसान पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

केंद्र सरकार द्वारा 2021 में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के बावजूद, किसानों की मांगें अभी भी अधूरी हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ने MSP @C2+50%, ऋण माफी, और बिजली के निजीकरण को रोकने जैसे वादों का उल्लंघन किया है।

नई नीतियों से बढ़ रहा किसानों का असंतोष : केंद्र सरकार ने हाल ही में कृषि विपणन पर नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क फॉर एग्रीकल्चरल मार्केटिंग (NPFAM) की शुरुआत की है, जिसे किसान पहले से भी ज्यादा खतरनाक मान रहे हैं। SKM का कहना है कि यह नीति छोटे किसानों, कृषि मजदूरों, छोटे व्यापारियों और राज्य सरकारों के अधिकारों को खत्म करने का प्रयास है।

SKM की चेतावनी: बड़ा आंदोलन होगा शुरू : SKM ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार ने तुरंत किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो 2020-21 के किसान आंदोलन से भी बड़ा और व्यापक आंदोलन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि किसानों और आम जनता में बढ़ते असंतोष को नजरअंदाज करना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।

राष्ट्रपति से SKM की अपील : SKM ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) से अपील की है कि वे अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने यह भी कहा कि देश का अन्नदाता, जो रात-दिन मेहनत करके सभी को खाना उपलब्ध कराता है, सरकार की अनदेखी का हकदार नहीं है।

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