नई दिल्ली, 27 दिसंबर (The News Air): हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या को विशेष रूप से पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या तब पड़ती है जब अमावस्या तिथि सोमवार के दिन हो, और इस साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को है। यह दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने, आत्मिक शुद्धि, और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
दुर्लभ संयोग: 30 दिसंबर को पड़ने वाली यह सोमवती अमावस्या इस साल की अंतिम अमावस्या है, और यह एक दुर्लभ संयोग है। इस दिन शिव और विष्णु की पूजा के साथ-साथ गंगा स्नान और पितरों का तर्पण करने से विशेष फल मिलता है। इसे जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करने और पितृ दोष को समाप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।
चार उपाय जो बदल देंगे किस्मत
1. पितरों का तर्पण करें
सोमवती अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं। तर्पण के लिए गंगा जल का उपयोग करें और ज्ञात पंडित से विधिपूर्वक अनुष्ठान कराएं। तर्पण करने से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
2. पिंडदान का महत्व
इस दिन पिंडदान करना सबसे शुभ माना जाता है, खासकर यदि आपको अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो। पिंडदान से पितृ दोष समाप्त होता है और कुंडली में शनि या राहु से जुड़ी समस्याएं हल हो सकती हैं। यह जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाता है।
3. ध्यान और आत्मशुद्धि
सोमवती अमावस्या पर ध्यान करने और अपने पूर्वजों का स्मरण करने से आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलता है। ध्यान करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
4. दान-पुण्य का विशेष महत्व
इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करने से पुण्य मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन गाय, कुत्ते, और पक्षियों को भोजन कराने से पितृ दोष समाप्त होता है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोमवती अमावस्या पर विशेष अनुष्ठान:
- सूर्योदय से पहले गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर यह संभव न हो तो घर में स्नान जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाएं।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और दीपदान करें।
- तुलसी के पौधे के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व: सोमवती अमावस्या को पवित्र नदियों में स्नान करने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और मन शांत होता है। यह दिन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पितृ दोष से छुटकारा: जिन परिवारों में बार-बार परेशानियां आती हैं, या जीवन में स्थिरता का अभाव है, उनके लिए यह दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने का उत्तम अवसर है।