चंडीगढ़, 26 नवम्बर, (The News Air) : शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संगठनों के साथ एकजुटता व्यक्त की, जो यूनिवर्सिटी की सीनेट के लिए चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होने यू.टी के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से हस्तक्षेप कर छात्रों के खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को वापिस लेने का आग्रह किया है।
इस अवसर पर अकाली दल के वरिष्ठ नेता ने इस अवसर पर यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठे छात्र संगठनों से बातचीत की तथा चुनाव कराने की मांग के लिए एक प्रस्ताव पारित करने के लिए पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। उन्होने इसके अलावा हरियाणा को अलग विधानसभा बनाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में जमीन के आवंटन के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया।
मजीठिया ने परिसर में भाषण के दौरान संविधान की एक प्रति हाथ में लेकर संविधान के साथ-साथ देश के लोकतांत्रिक ढ़ांचे को बनाए रखने की पुरजोर अपील की। उन्होने कहा,‘‘ मैं भारतीय जनता पार्टी को याद दिलाना चाहता हूं कि आपको संविधान के प्रति वफादारी की प्रतिज्ञा के बजाय असली अर्थों में संविधान को बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होने कहा संविधान लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए अस्तित्व में आया था इसीलिए उन्हे सीनेट का चुनाव करने का अधिकार होना चाहिए।’’
मजीठिया ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक निकायों को समाप्त करने की कोशिश कर रही है, उसके विरोध में पार्टी लाइन से उपर उठने के लिए छात्र संगठनों की सराहना की एवं छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की भी कड़ी निंदा की , जब उन्होने हाल ही में परिसर का दौरा करने के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलने की कोशिश की थी। उन्होने कहा कि महिला कांस्टेबलों की अनुपस्थिति में छात्राओं के साथ मारपीट की गई जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा,‘‘ यह बेहद निंदनीय है कि छात्रों पर गैर-जमानती अपराधों के आरोप लगाए गए हैं।’’
वरिष्ठ अकाली नेता ने सभी छात्रों से संस्थान को बचाने के लिए एकजुट होने की अपील करते हुए आश्वासन दिया कि अकाली दल उनके साथ लड़ेगा तथा उनकी कानूनी लड़ाई में उनकी मदद भी करेगा। उन्होने छात्रों से अपने खिलाफ झूठे मामलों के खिलाफ चंडीगढ़ एसएसपी और यूटी प्रशासक को एक आवेदन प्रस्तुत करने की अपील की।
इससे पहले स्टूडेंटस आॅर्गेनाइजेशन आॅफ इंडिया(एसओआई) के अध्यक्ष रंजीत सिंह ़िढ़ल्लों ने बताया कि किस तरह पंजाब विश्वविद्यालय को केंद्रीकृत किया जा रहा है। उन्होने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी के अधिकार को खत्म करने की लगातार कोशिश की जा रही है और हरियाणा के काॅलेजों को विश्वविद्यालय से संबद्ध करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर विभिन्न छात्र संगठनों के नेताओं ने भी संबोधित किया। पीएसयू लालकार के प्रतिनिधि ने बताया कि किस तरह छात्राओं पर लाठीचार्ज किया गया और जब उन्होने मुख्यमंत्री से अपने विरोध प्रदर्शन के बारे में बताने की कोशिश की तो उनके साथ हाथापाई भी की गई। एक अन्य प्रतिनिधि ने बताया कि कैसे आरक्षण नीति सहित सभी सेवा नियम केंद्रीय नियमों के अनुसार बदले जा रहे हैं और पंजाब को इसके कामकाज में कोई भूमिका नही दी जा रही है, जबकि राज्य 60 फीसदी से अधिक वित्तपोषण में योगदान दे रहा है। एओपीयू के अवतार सिंह ने कहा कि छात्र यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक ढ़ांचे की रक्षा की लड़ाई को तार्किक निष्कर्ष तक लेकर जाएगें, जबकि एसओआई गुरसिमरन सिंह ने कहा कि यूनिवर्सिटी का पूरी तरह से केंद्र द्वारा नियंत्रण में करने के लिए सीनेट के चुनाव नही कराए जा रहे हैं।