नई दिल्ली, 24 सितंबर,(The News Air): इन दिनों तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से लोग अक्सर कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्या का शिकार हो जाते हैं। Depression इन्हीं समस्याओं में से एक है जो इन दिनों दुनियाभर में एक चिंता का विषय बना हुआ है। इसकी वजह से सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं लिवर भी काफी प्रभावित होता है। आइए जानते हैं कैसे।
Depression से होने वाले प्रभाव
तनाव की वजह से सिर्फ बीपी और डायबिटीज ही नहीं लिवर की गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। केजीएमयू के गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि विभाग की ओपीडी में आने वाले लिवर के मरीजों में से करीब 80 फीसदी की वजह तनाव होता है। वे इंडियन सोसायटी ऑफ गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी की ओर से हजरतगंज के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे।
मेटाबोलिज्म
कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है। इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस, फैट और शुगर लेवल बढ़ जाते हैं। इससे लिवर पर फैट जमा होने लगता है, जिससे फैटी लिवर की समस्या शुरू हो जाती है।
एडिक्शन
स्ट्रेस में अक्सर लोग अच्छा महसूस करने के लिए शराब, सिगरेट या ड्रग्स की लत लगा लेते हैं। इसका सीधा असर लिवर पर पड़ता है और ये जहर की तरह लिवर पर टॉक्सिन जमा करते हैं। ये एडिक्शन लिवर को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाते हैं और ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
थकान
लिवर एनर्जी बनाने में मदद करता है और फैटी लिवर होने पर एनर्जी उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है। इससे लो एनर्जी महसूस होती है, काम करने की इच्छा नहीं होती है, डेली रूटीन के काम पूरे नहीं होते हैं और इससे स्ट्रेस पैदा होता है।
हार्मोनल असंतुलन
लिवर कई हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है, लेकिन फैटी लिवर होने पर हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे स्ट्रेस रिस्पॉन्स बढ़ता है और भावनात्मक संतुलन बिगड़ता है। ये मूड स्विंग, एंग्जायटी और डिप्रेशन का कारण बनता है।