चांद कैसे बना होगा? चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने ढूंढ लिया अहम सुराग

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नई दिल्ली, 22 अगस्त (The News Air): चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी की जांच करके एक बड़ी खोज की है। अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने इस मिट्टी में ऐसे पदार्थ पाए हैं जो चांद के अंदरूनी हिस्सों से आते हैं। यह खोज नेचर पत्रिका में छपी है। यह खोज 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से ठीक पहले हुई है, जो चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग की पहली वर्षगांठ है। प्रज्ञान रोवर पर लगे ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (APXS) ने चांद की मिट्टी में मौजूद तत्वों का पता लगाया। इसने ‘लूनर मैग्मा ओशन’ (LMO) की परिकल्पना का समर्थन किया है, जिसमें कहा गया है कि चांद की शुरुआती परत हल्के खनिजों के ऊपर तैरने से बनी थी।

चांद की मिट्टी खनिजों से भरपूर

APXS ने मैग्नीशियम से भरपूर खनिजों की मौजूदगी का भी पता लगाया है। यह इस बात का संकेत है कि दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन के निर्माण के दौरान अंदरूनी परतों से कुछ पदार्थ बाहर निकलकर यहां आ गिरे थे। LMO परिकल्पना के मुताबिक, चांद के बनने के समय यह पूरी तरह से मैग्मा के समुद्र जैसा था। जैसे-जैसे मैग्मा ठंडा हुआ, भारी खनिज नीचे बैठ गए और हल्के खनिज ऊपर तैरते रहे। APXS को मिट्टी में ‘फेरोएन एनोर्थोसाइट’ (FAN) मिला जो LMO परिकल्पना की पुष्टि करता है।

कैसे मिट्टी में आए मैग्नीशियम खनिज?

लेकिन मैग्नीशियम युक्त पदार्थों की मौजूदगी से पता चलता है कि ऊपरी परत की मिट्टी चांद की गहरी परतों से आए पदार्थों के साथ मिल गई होगी। यह जगह जहां चंद्रयान-3 उतरा था, उसे ‘शिव शक्ति पॉइंट’ नाम दिया गया है। शिव शक्ति पॉइंट के 50 मीटर के दायरे में 23 अलग-अलग जगहों से लिए गए सैंपल से पता चला कि चांद की ऊपरी परत की संरचना एक समान है।

यह खोज भविष्य के रिमोट सेंसिंग अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी साबित होगी। APXS द्वारा की गई यह नई खोज बताती है कि चांद की मिट्टी दो अलग-अलग प्रकार की चट्टानों का मिश्रण है।

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