नई दिल्ली, 08 अगस्त (The News Air): रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है जिसका इंतजार ईएमआई भरने वालों को था। गवर्नर शक्तिकांत दास ने जब कहा कि रेपो रेट पहले की तरह 6.5 की दर पर यथावत रहेगा तो एक बात साफ हो गई कि लोन चुलाने वालों को राहत पाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। इसका अर्थ यह है कि अभी आप जितनी ईएमआई भर रहे हैं उसमें किसी तरह की राहत नहीं है। पहले आप यह समझिए कि रेपो रेट क्या होता है। रेपो रेट का मतलब आरबीआई जिस दर पर बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट के कम होने पर हर तरह की किस्त कम होती है यानी कि लोन सस्ता होता है। लेकिन बढ़ने पर लोन महंगा हो जाता है। आरबीआई ने ने पिछले साल रेपो रेट में बदलाव किया था तब इसमें .25 की बढ़ोतरी की गई थी.
जिस तरह से हम सब जरूरतों के हिसाब से बैंकों से कर्ज लेते हैं। ठीक वैसे ही पब्लिक और कमर्शियल बैंकों भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेते हैं। कर्ज पर ब्याज जैसे आम ग्राहक चुकाता है ठीक वैसे ही चुकाते बैंकों को भी ब्याज चुकाना पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक की जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है वो रेपो रेट कहलाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब बैंकों को सस्ता लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलेगा तो ग्राहकों को भी सस्ता लोन मिलता है। अगर रेपो रेट कम होता है तो इसकी सीधा फायदा आम लोगों को मिलता है लेकिन रेपो रेट बढ़ने की सूरत में आम आदमी की परेशानी बढ़ती है।