मुस्लिम नाबालिग की शादी मान्य है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट करेगा तय

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नई दिल्ली, 07 अगस्त (The News Air):  चाइल्ड मैरिज (प्रिवेंशन) एक्ट होने के बाद भी क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नाबालिग लड़की के निकाह की इजाजत दी जा सकती है? कई हाई कोर्ट इस मसले पर अलग-अलग फैसले दे चुकी हैं। नैशनल कमीशन फॉर प्रोटक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के ऐसे ही एक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को इस मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह मामला उठा। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम सुनवाई करेंगे और इस मामले का निपटारा करें। जल्द ही सुनवाई के लिए तारीख भी तय करेंगे।’

पहले भी अदालत के सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
2022 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जावेद के केस में कहा था, ‘मुस्लिम लड़की जो नाबालिग है, लेकिन प्यूबर्टी यानी शारीरिक तौर पर वयस्क हो तो मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत निकाह कर सकती है।’ ऐसा ही एक केस उसी साल केरल हाई कोर्ट में भी पहुंचा था। तब केरल हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत निकाह चाइल्ड मैरिज (प्रिवेंशन) एक्ट के दायरे से बाहर नहीं है। NCPCR ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। लड़की की उम्र 16 साल है और हाई कोर्ट ने निकाह के पक्ष में फैसला दिया था। NCPCR की ओर से तुषार मेहता पेश हुए और शीर्ष अदालत से हाई कोर्ट की टिप्पणी पर रोक लगाने की गुजारिश की। उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणी का असर चाइल्ड मैरिज पर पड़ सकता है और पॉक्सो एक्ट पर भी असर हो सकता है। इसी बात पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘कैसे कोई अनुकरण कर सकता है, जब हम मामला सुन रहे हैं। हम पूरे मुद्दे का परीक्षण करेंगे।’

क्या था पंजाब हाई कोर्ट का फैसला
13 जून 2022 को पंजाब हाई कोर्ट का फैसला आया था। कोर्ट के सामने 16 साल की लड़की और 21 साल के लड़के ने अर्जी दाखिल कर सुरक्षा की गुहार लगाई थी। कोर्ट को बताया था कि दोनों को प्यार हुआ और 8 जून को उन्होंने निकाह कर लिया। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देकर दावा किया था, ‘अगर लड़की प्यूबर्टी पा लेती है तो वह बालिग मानी जाती है। ऐसे में मर्जी से निकाह करने की हकदार है।’ हाई कोर्ट ने भी कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा 195 के तहत नाबालिग लड़की प्यूबर्टी पाने के बाद निकाह के लिए योग्य हो जाती है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बनेगा नजीरNCPCR ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है और कहा है कि हाई कोर्ट ने मुस्लिम पर्नसल लॉ के तहत निकाह की वैधता को गलत तरीके से परिभाषित किया। हाई कोर्ट ने प्रावधान की गलत व्याख्या की है। वैसे ही नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध चाहे मर्जी से ही क्यों न हो पॉक्सो के तहत अपराध है। अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ प्यूबर्टी को निकाह की उम्र मानता है तो भी निकाह की वैधता को जांचा जाना चाहिए और उसे हाई कोर्ट ने नजरअंदाज किया। हाई कोर्ट ने इस बात की गलत व्यख्या की है कि प्यूबर्टी और बालिग होने से निकाह वैध है, क्योंकि पॉक्सो कानून लागू है और मर्जी से भी नाबालिग के साथ संबंध अपराध है। अब मामला चूंकि सुप्रीम कोर्ट के सामने है तो इस मामले में जो कानूनी सवाल उठे हैं उसका जवाब मिलेगा और आगे के लिए एक अहम नजीर बनेगा।.

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