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विपक्ष तो छोड़िए अब तो सहयोगी और अपने ही उठा रहे सवाल, क्या घिर गए हैं योगी?

The News Air by The News Air
सोमवार, 22 जुलाई 2024
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विपक्ष तो छोड़िए अब तो सहयोगी और अपने ही उठा रहे सवाल, क्या घिर गए हैं योगी?
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के बाद संगठन और सरकार के बीच सियासी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है. विपक्षी दलों को छोड़िए, योगी सरकार अपने ही नेताओं के निशाने पर है. बीजेपी नेताओं और विधायकों से लेकर सहयोगी दल भी सवाल खड़े करने लग गए हैं. सीएम योगी के गोरखपुर क्षेत्र के दो बीजेपी विधायकों ने अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई है, तो सहयोगी दलों के नेता ओबीसी और आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. इस तरह से योगी सरकार अपनों से ही घिर गई है.

2024 के चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में 62 लोकसभा सीटों से घटकर 33 सीट पर आ गई है. इस तरह लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा जख्म उत्तर प्रदेश से मिला है. इसके चलते लखनऊ से दिल्ली तक लगातार मंथन का दौर जारी है, लेकिन एक्शन कुछ नहीं हो रहा है.

बीजेपी विधायकों ने लगाई जान की गुहार

बीजेपी के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सरकार से सुरक्षा की मांग की थी और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंनेयोगी सरकार के गोरखपुर पुलिस-प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए उनकी हत्या के लिए एक करोड़ रुपए चंदा जुटाने वाले शख्स के साथ गोरखपुर पुलिस के मिले होने का आरोप लगाया. उन्होंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है. वहीं, बीजेपी के एक और विधायक श्रवण निषाद ने अपनी जान की गुहार लगाई है.

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निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बेटे हैं विधायक श्रवण निषाद. यूपी पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कहा कि मेरी जान को खतरा होने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को हटा दिया है. उनकी सुरक्षा को हटाकर प्रशासन साजिश कर रहा है. फतेह बहादुर सिंह और श्रवण निषाद दोनों ही विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर जिले से ही हैं. ऐसे में यूपी प्रशासन पर सवाल खड़े करके विपक्ष के हाथों में योगी सरकार को घेरने के लिए मौका दे दिया है.

आरक्षण के मुद्दे पर सहयोगी ने खोला मोर्चा

लोकसभा चुनाव के बाद से योगी सरकार और बीजेपी के सहयोगी दल आमने-सामने हैं. अपना दल (एस) की प्रमुख और केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेलने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने प्रदेश सरकार की भर्तियों में आरक्षण का पालन न करने का आरोप लगाया. इसको उन्होंने चुनाव में एनडीए के प्रदर्शन से जोड़ दिया.

अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में आरक्षित पदों को अनारक्षित घोषित किए जाने की व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने साक्षात्कार के आधार पर होने वाली भर्तियों में ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग की भर्ती नहीं करने का आरोप लगाया था. इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि ओबीसी के मुद्दों को मोदी सरकार हल करने में कामयाब रही, लेकिन योगी सरकार ओबीसी के मुद्दों को हल नहीं कर सकी.

अनुप्रिया पटेल ही नहीं निषाद पार्टी के नेता और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने भी योगी सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा था कि कुछ अधिकारी अंदर से साइकिल, हाथी और पंजे वाले हैं और ऊपर कमल है. वो मौका पाते ही, डस लेते हैं. सीएम योगी के बुलडोजर नीति पर भी सवाल खड़े करते हुए संजय निषाद ने कहा था कि इस वक्त पर आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे, तो वे वोट देंगे क्या? इसके अलावा वे ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए नजर आए थे.

केशव प्रसाद मौर्य के सुर में सुर मिलाते हुए सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि कोई भी संगठन कार्यकर्ता से होता है. निश्चित तौर पर संगठन से ही सरकार बनती है. इसलिए जब संगठन नहीं होगा तो सरकार भी नहीं खड़ी रहेगी. उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जो कहा था संगठन सरकार से बड़ा होता है, तो यह बात बिलकुल सही है, वे इसका समर्थन करते है.

जयंत ने नेम प्लेट फैसले का किया विरोध

कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाले ढाबे, दुकान और खाने-पीने के ठेलों पर दुकानदार के नाम लिखने का फरमान योगी सरकार ने जारी किया था, जिसे लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि कांवड़ यात्री जाति और धर्म की पहचान कर किसी दुकान पर सेवा नहीं लेता है. इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, ज्यादा समझ कर फैसला नहीं लिया. अब फैसला ले लिया तो उसके ऊपर टिकी हुई है सरकार. कभी-कभी ऐसा हो जाता है सरकार में. अभी भी समय है सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए.

जयंत चौधरी ने कहा कि कहां-कहां लगाओगे नाम, क्या अब कुर्ते पर भी लिखवाना शुरू कर दें कि किससे हाथ मिलाना है और किसे गले लगाना है. इस तरह से जयंत चौधरी ने योगी सरकार पर निशाना साधा और इस फैसले को वापस लेने के लिए कहा.

केशव प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार से पूछा सवाल

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नेसरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों को लेकर ने 15 जुलाई को नियुक्ति और कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. केशव ने पूछा था कि संविदा भर्ती में आरक्षण के नियम का कितना पालन किया गया.

इसके अलावा उन्होंने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति के बाद चयनित 6800 आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के मुद्दे का जिक्र किया है. केशव प्रसाद मौर्य ने जिस नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से भर्तियों में आरक्षण के पालन करने की सूचना मांगी है, उस विभाग की जिम्मेदारी सीएम योगी आदित्यनाथ के पास है.

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