राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का नाम बदल दिया गया है. नई किताब में बाबरी मस्जिद विध्वंस के कई संदर्भों को हटाने हटा दिया गया है और राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन पर अधिक जोर दिया गया है. आइए जानते हैं कि नई किताब में बाबरी मस्जिद का नाम क्यों बदला गया है.
इस पर एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा परिवर्तन किए गए थे क्योंकि किताबें हिंसक, उदास नागरिक नहीं बनाना चाहती थीं. उन्होंने कहा कि वे परिवर्तन करने में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे और विशेषज्ञों ने वही किया जो उन्हें ‘वैश्विक प्रथाओं’ के अनुसार उचित लगा. पुराने चैप्टर की जांच की गई और उसे संशोधित करके नया चैप्टर तैयार किया.
किसके तहत हटाया गया नाम?
सकलानी ने कहा कि बाबरी मस्जिद का संदर्भ हटाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप है. पाठ्यपुस्तक का नया संस्करण, जिसे तीन महीने पहले परिवर्तनों की घोषणा के बाद पेश किया. किताब में बाबरी मस्जिद का नाम नहीं है और इसे तीन गुंबद वाली संरचना नई किताब में बताया गया है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने इस पर फैसला किया कि इसे क्या कहा जाए और क्या नहीं.
कहीं और से कर सकते हैं जानकारी
उन्होंने कहा कि यह एनसीईआरटी की किताब एक छोटी किताब है. अगर कोई छात्र या कोई और इस विषय पर शोध करने में रुचि रखता है तो वे इसके बारे में कहीं और से पढ़ सकते हैं. सकलानी ने कहा कि हम जिज्ञासु लोगों को पढ़ने और शोध करने से नहीं रोक सकते हैं.
अब किताब में क्या?
हालांकि एनसीईआरटी ने कहा है कि बदले हुए संस्करण में लिखा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराना कानूनी और राजनीतिक विवाद भारत की राजनीति को प्रभावित करने लगा, जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया. राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बनकर, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की दिशा बदल दी. इन परिवर्तनों के कारण सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के निर्णय (जिसे 9 नवंबर, 2019 को घोषित किया गया) के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रूप में हुई.