8th Pay Commission Fitment Factor को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच एक चिंताजनक खबर सामने आई है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है और देश भर के Central Government Employees और Pensioners की निगाहें 8वें वेतन आयोग पर टिकी हैं। लेकिन, आयोग के गठन में हो रही संभावित देरी और एरियर (बकाया राशि) से जुड़े पेचीदा नियमों ने लाखों कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि इससे उनकी जेब पर सीधा और भारी असर पड़ने वाला है।
सैलरी बढ़ेगी या नुकसान होगा?
जहाँ एक तरफ उम्मीद जताई जा रही है कि नया वेतन आयोग लागू होने पर कर्मचारियों की Salary में 30 से 35 प्रतिशत तक की बंपर बढ़ोतरी हो सकती है, वहीं दूसरी तरफ एरियर को लेकर भारी टेंशन बनी हुई है। यह देरी अब सिर्फ तारीखों का खेल नहीं रह गई है, बल्कि यह सीधे तौर पर आपकी मेहनत की कमाई का मुद्दा बन गया है। असली पेंच एरियर यानी बकाया राशि के भुगतान में फंसा हुआ है।
देरी का मतलब सीधा आर्थिक नुकसान
अक्सर यह देखा गया है कि नया वेतन आयोग पुराने आयोग का कार्यकाल खत्म होने के अगले दिन से ही प्रभावी मान लिया जाता है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। वित्त मंत्रालय ने आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 18 महीने का वक्त दिया था। जानकार बताते हैं कि रिपोर्ट आने के बाद भी उसे लागू करने की प्रक्रिया में 6 महीने और लग सकते हैं। यानी देरी तय मानी जा रही है और इस देरी का सीधा मतलब है कर्मचारियों को भारी आर्थिक नुकसान।
क्यों नहीं मिलेगा DA और HRA का एरियर?
सबसे बड़ा झटका भत्तों के एरियर को लेकर है। नियमों के मुताबिक, Dearness Allowance (DA) यानी महंगाई भत्ते का एरियर कर्मचारियों को नहीं मिलता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वेतन आयोग के अंत में इसे बेसिक पे के साथ मर्ज कर दिया जाता है, जिसे Fitment Factor कहा जाता है। इस एडजस्टमेंट के कारण डीए का कोई अलग से एरियर नहीं बनता। जैसे ही बेसिक सैलरी बढ़ती है, डीए अपने आप बढ़ जाता है, इसलिए इसका पिछला बकाया नहीं दिया जाता।
लाखों में हो सकता है घाटा
इससे भी बड़ी चिंता House Rent Allowance (HRA) को लेकर है। All India NPS Employees Federation के नेशनल प्रेसिडेंट मनजीत सिंह पटेल के मुताबिक, कर्मचारियों को नए वेतन आयोग में एचआरए पर भी एरियर नहीं मिलता है। केंद्र सरकार कर्मचारियों को उनके शहर की श्रेणी (X, Y और Z) के हिसाब से एचआरए देती है। यदि आयोग के लागू होने में देरी होती है, तो सरकार एचआरए का पिछला बकाया नहीं देती, जिससे सरकार को तो भारी बचत होती है, लेकिन कर्मचारी को बड़ा घाटा सहना पड़ता है।
गणित से समझें नुकसान का आंकड़ा
इस नुकसान को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी कर्मचारी की Basic Salary 76,500 रुपये है। अगर 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 के बजाय देरी से 1 जनवरी 2028 को लागू होता है, तो उस कर्मचारी को एचआरए के रूप में करीब 3.80 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हो सकता है। कर्मचारी संघ लंबे समय से एचआरए पर भी बकाया देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई राहत नहीं मिली है।
क्या है पूरा मामला
सातवें वेतन आयोग की मियाद खत्म होने वाली है और उम्मीद थी कि 1 जनवरी 2026 से 8वां वेतन आयोग शुरू हो जाएगा। हालांकि, अभी तक सरकार की तरफ से इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। कर्मचारियों का डर यह है कि अगर इसे लागू करने में 2027 या 2028 तक का वक्त लग गया, तो जो एरियर उन्हें मिलना चाहिए, विशेषकर भत्तों के रूप में, वह डूब सकता है। यह देरी कर्मचारियों के लिए दोहरी मार साबित हो सकती है—एक तो बढ़ी हुई सैलरी का इंतजार और दूसरा भत्तों के एरियर का नुकसान।
मुख्य बातें (Key Points)
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Central Government Employees को 8वें वेतन आयोग में देरी से लाखों का नुकसान हो सकता है।
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महंगाई भत्ता (DA) बेसिक पे में मर्ज होने के कारण इसका एरियर नहीं मिलता।
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सरकार HRA (हाउस रेंट अलाउंस) पर एरियर नहीं देती, जिससे कर्मचारियों की जेब पर असर पड़ता है।
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अनुमान के मुताबिक, एक कर्मचारी को देरी की वजह से 3.80 लाख रुपये तक का घाटा हो सकता है।






