Supreme Court Teacher Job Verdict : पश्चिम बंगाल (West Bengal) में 25 हजार से ज्यादा शिक्षक और अन्य स्टाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक बड़े फैसले की वजह से बेरोजगार हो गए हैं। यह मामला साल 2016 में स्कूल सेवा आयोग (School Service Commission – SSC) द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को दिए गए अपने आदेश में 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को भ्रष्ट बताते हुए अमान्य करार दिया।
इस फैसले के बाद प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा है कि वह फैसले का सम्मान करती हैं, लेकिन किसी भी शिक्षक की नौकरी नहीं जाने देंगी। इस मुद्दे को लेकर अब आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रीय होता जा रहा है। डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम (Deserving Teachers Rights Forum) के प्रवक्ता महबूब मंडल (Mahbub Mandal) ने बताया कि नौकरी गंवाने वाले करीब 70 शिक्षक दो बसों में सवार होकर कोलकाता (Kolkata) के एस्प्लेनेड (Esplanade) इलाके से दिल्ली रवाना हुए हैं।
ये शिक्षक 16 अप्रैल को जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर तीन घंटे का धरना देंगे। मंडल ने बताया कि इसके लिए दिल्ली प्रशासन से अनुमति भी ले ली गई है। उनका कहना है कि हम दिल्ली जाकर अपनी बात पूरे देश के सामने रखना चाहते हैं। उनका आरोप है कि उन्हें उन लोगों के साथ गलत तरीके से जोड़ा गया जो वाकई भ्रष्टाचार में लिप्त थे, जबकि वे योग्य थे और उन्होंने 2016 की भर्ती परीक्षा पास की थी।
वहीं, कोलकाता के एस्प्लेनेड क्षेत्र में भी योग्य शिक्षकों का धरना जारी रहेगा। मंडल ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने बर्खास्त शिक्षकों को स्वैच्छिक रूप से काम करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अधिकांश शिक्षकों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह हमारे आत्मसम्मान का सवाल है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि 2016 की SSC भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई और नोटिफिकेशन के अनुसार चयनितों की संख्या से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया, जो कि पूरी प्रक्रिया को संदिग्ध बनाता है। इस आधार पर कोर्ट ने यह कठोर फैसला सुनाया, जिसने हजारों परिवारों की आजीविका को प्रभावित किया है।
अब इन शिक्षकों की निगाहें दिल्ली के जनसमर्थन और राजनीतिक सहयोग पर टिकी हैं। देखना होगा कि यह आंदोलन क्या प्रभाव डालता है और ममता बनर्जी सरकार इस संकट से निपटने के लिए आगे क्या रणनीति अपनाती है।