नरसिम्हा राव समय की नजाकत को भांप गए थे। जब वे देश के प्रधानमंत्री बने उस समय देश की अर्थव्यवस्था बेहद दयनीय स्थिति में थी। इससे उबरने के लिए प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मनमोहन सिंह को बड़े बदलाव करने की छूट दी।
भारत के इतिहास में इस बजट को गेम चेंजर बजट
आज ही के दिन यानी 32 साल पहले 24 जुलाई 1991 में बतौर वित्त मंत्री डा. मनमोहन सिंह ने अपना पहला बजट संसद में पेश किया था। जो कि गेम चेंजर साबित हुआ। भारत के इतिहास में इस बजट को गेम चेंजर बजट कहा जाता है। मनमोहन सिंह ने ऐसे कई बदलावा किए जो इंडियन इकोनॉमी (भारतीय अर्थव्यस्था) को दुनिया के लिए खोल दिया। इस बजट ने भारत की अर्थव्यस्था को एक गति दे दिया और देश को आगे बढ़ाने का रास्ता दे दिया, जिस पर अर्थव्यस्था दौड़ चली।
24 जुलाई 1991 के बजट में क्या- क्या आर्थिक सुधार के सुझाव दिए गए। इस पर नजर डालने से पहले एक नजर इस पर डाल लेते हैं कि किन कारणों से भारत की अर्थव्यवस्था पिछड़ गई थी ।
भारत की अर्थव्यवस्था क्यों पिछड़ी थी?
- शेयर बाजार में घपले
- चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध
- आयात के लिए जटिल लाइसेंसिंग सिस्टम
- विदेशी पूंजी निवेश
ये बुलेट प्वाइंट्स थे जो अर्थव्यवस्था की रफ्तार को थामें हुआ था। क्योंकि इस पर सरकारी रोक जैसी कई कारण थे। इसके अलावा सरकार ये भी तय करती थी कि किस उद्योग में कितना उत्पादन होगा। यहां तक कि सीमेंट से लेकर बाइक के उत्पादन तक। यानी हर क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण था।
24 जुलाई 1991 के बजट में मनमोहन सिंह ने क्या सुधार किए?
1. उदारीकरण
2. वैश्वीकरण
3. निजीकरण
4. इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी
बदलाव: इस बजट में इम्पोर्ट लाइलेंस का फीस घटाने और एक्सपोर्ट को प्रमोट करने का फैसला लिया। साथ ही केंद्र सरकार ने लाइसेंस राज खत्म कर दिया। 8 उद्योगों को छोड़कर बाकी सभी के लिए सरकार ने लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।
5. कस्टम ड्यूटी को घटाया
बदलाव: केंद्र सरकार ने कस्टम ड्यूटी को घटाने का फैसला लिया। इसे 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया गया।
6. बैंको पर RBI का नियंत्रण कम किया
बदलाव: बजट में बैंको पर आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियंत्रण को कम कर दिया गया। बैंकों को जमा और कर्ज पर इंटरेस्ट रेट और कर्ज की राशि तय करने का अधिकार भी दिया गया। नए और निजी बैंक खोलने के नियम भी आसान कर दिए गए। इससे देश में बैंको का विस्तार हुआ।
7. उद्योग क्षेत्र को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना
बदलाव: बजट में उद्योग क्षेत्र को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया गया। भारतीय उद्योगों को सीधे अतंरराष्ट्रीय बाजार से प्रतिस्पर्धा के द्वार खोल दिए गए।
मनमोहन सिंह के 24 जुलाई 1991 के इस बजट ने भारतीय अर्थव्यस्था को तेज रफ्तार दिया के साथ विकास किया।






