Zomato Data Sharing with Restaurants : क्या आपने कभी सोचा है कि आप कब, क्या और कहां खाते हैं, इसकी जानकारी सिर्फ आपके और आपके फूड डिलीवरी ऐप के बीच रहती है? अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो सावधान हो जाइए। आपकी फूड हैबिट्स, नाम, पता, मोबाइल नंबर और यहां तक कि ऑफिस का एड्रेस—सब कुछ अब ‘ओपन बुक’ होने वाला है। फूड डिलीवरी दिग्गज Zomato अब अपने कस्टमर्स का डेटा रेस्टोरेंट्स के साथ शेयर करने की तैयारी कर रहा है।
आपकी निजता पर बड़ा खतरा?
खबरों के मुताबिक, Zomato और ‘नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (NRAI) के बीच बातचीत फाइनल स्टेज में है। सिर्फ Zomato ही नहीं, Swiggy और Rapido का फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म भी इसी रास्ते पर हैं। Rapido का ‘ओनली’ (Only) ऐप तो पहले ही इस डील का हिस्सा बन चुका है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब ये कंपनियां ग्राहकों से परमिशन मांगेंगी कि क्या उनका डेटा रेस्टोरेंट्स को दिया जाए।
रेस्टोरेंट्स को क्यों चाहिए आपका डेटा?
NRAI के प्रेसिडेंट सागर दरियानी का कहना है कि रेस्टोरेंट्स को अपने ग्राहकों को समझने के लिए इस डेटा की सख्त जरूरत है। वे जानना चाहते हैं कि उनका कस्टमर कौन है, वह कितनी बार ऑर्डर करता है, उसे वेज पसंद है या नॉन-वेज, और वह किस शहर के किस इलाके में रहता है। रेस्टोरेंट्स का तर्क है कि फूड एग्रीगेटर्स (जैसे Zomato, Swiggy) ये डेटा छिपाते हैं, जिससे वे अपने ग्राहकों से सीधा रिश्ता नहीं बना पाते और मार्केटिंग नहीं कर पाते।
‘डेटा शेयरिंग’ के पीछे की असली वजह
असल में यह लड़ाई ‘कमीशन’ और ‘कंट्रोल’ की है। रेस्टोरेंट्स का कहना है कि फूड डिलीवरी ऐप्स उनसे भारी-भरकम कमीशन (लगभग 35%) वसूलते हैं, जबकि पहले यह सिर्फ 5-7% था। डेटा मिलने से रेस्टोरेंट्स को लगता है कि वे सही ऑफर्स देकर अपने मार्केटिंग खर्च को सही दिशा दे पाएंगे और एग्रीगेटर्स पर उनकी निर्भरता कम होगी।
ग्राहक के लिए क्या है इसमें?
कंपनियों का दावा है कि डेटा शेयर करने से ग्राहकों को फायदा होगा। अगर आप परमिशन देते हैं, तो आपको अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट्स से बेहतर डील्स और ऑफर्स मिल सकते हैं। लेकिन, बिजनेस टुडे की पत्रकार साक्षी बत्रा के अनुसार, इसमें प्राइवेसी का बड़ा जोखिम भी है। आपके खाने की पसंद से आपकी जीवनशैली, स्वास्थ्य और यहां तक कि धार्मिक आदतों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
CCI में पेंडिंग है मामला
यह विवाद नया नहीं है। रेस्टोरेंट्स और फूड एग्रीगेटर्स के बीच डेटा शेयरिंग और गहरे डिस्काउंट को लेकर पिछले 10 साल से खींचतान चल रही है। NRAI ने इस मामले को ‘कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया’ (CCI) में भी उठाया है, जहां यह अभी भी पेंडिंग है।
जानें पूरा मामला (Background)
भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। रिसर्च फर्म स्टेटिस्टा के अनुसार, 2030 तक यह बाजार 102 अरब डॉलर का हो जाएगा। ऐसे में हर कंपनी ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपने पाले में करना चाहती है। Zomato अब एक नया फीचर ला रहा है जिसमें वह ग्राहकों से डेटा शेयर करने की स्पष्ट अनुमति मांगेगा। पहले भी ऐसी कोशिशें हुई थीं, लेकिन ग्राहकों की नाराजगी और स्पैम कॉल्स की शिकायतों के बाद इसे बंद कर दिया गया था। अब देखना यह है कि पारदर्शिता के दावों के बीच आम यूजर की प्राइवेसी कितनी सुरक्षित रहती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Zomato अपने कस्टमर्स का डेटा (नाम, नंबर, ऑर्डर हिस्ट्री) रेस्टोरेंट्स के साथ शेयर करने की योजना बना रहा है।
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इसके लिए ग्राहकों से ऐप पर परमिशन ली जाएगी।
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NRAI के मुताबिक, इससे रेस्टोरेंट्स को मार्केटिंग और कस्टमर रिलेशनशिप में मदद मिलेगी।
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एक्सपर्ट्स ने डेटा लीक और प्राइवेसी को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
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Rapido और Swiggy भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।






