SEBI ने हाल में अपनी मॉनटरिंग काफी बढ़ाई है। मार्केट का एक वर्ग इसे अच्छा बता रहा है, जबकि दूसरे का मानना है कि मार्केट रेगुलेटर की इतनी ज्यादा सख्ती ठीक नहीं है। लेकिन, इस बात को लेकर दोनों पक्षों की राय एक है कि सेबी ने जिस तरह से हर मसले को लेकर बाजार के पक्षों से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है, वह मार्केट के लिए अच्छा है। जिरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर नितिन कामत से बातचीत में मनीकंट्रोल ने सेबी की हालिया सक्रियता के बारे में भी चर्चा की। इस बारे में उनके अनुभव के बारे में भी पूछा। कामत सेबी की कई समितियों के सदस्य हैं। इनमें सेकेंडरी मार्केट एडवायजरी कमेटी भी शामिल है।
रेगुलेटर का काम बहुत मुश्किल
सेबी की कई समितियों से अपने अनुभव के बारे में कामत ने कहा कि यह मेरे लिए सीखने का बड़ा मौका रहा है। हर रेगुलेशन से पहले उस पर काफी चर्चा होती है। जब आप रेगुलेटरी प्रोसेस का हिस्सा नहीं होते हैं तो आप उन सीमाओं के बारे में नहीं समझते हैं, जो रेगुलेटर के सामने होती हैं। इसकी वजह यह है कि रेगुलेटर सिर्फ एक ब्रोकर या एक तरह के ब्रोकर के बारे में नहीं सोचता है। इंडिया एक बड़ा देश है, जिसमें हजारों ब्रोकर हैं। इसलिए नए नियम बनाने से पहले सबका ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए यह काम मुश्किल हो जाता है। सेबी की कुछ समितियों के सदस्य होने के नाते मैं समझ सकता हूं कि यह काम कितना मुश्किल है।
बदलावों से बिजनेस को मिली है मदद
सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के साथ अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में विचार-विमर्श का सिलसिला बढ़ा है। बुच के चेयरपर्सन बनने के बाद से ज्यादा कंसल्टेशन पेपर आ रहे हैं। हम जैसे लोगों से व्यूज पूछ जा रहे हैं। पिछले पांच से छह साल में काफी बदलाव हुए हैं। हर बदलाव का हमारे बिजनेस पर काफी असर पड़ता है। इसकी वजह यह है कि इससे काम करने का तरीका बदल जाता है। लेकिन, जब आप इन बदवालों के बारे में एक साथ सोचते हैं तो ऐसा लगता है कि इससे हमारे बिजनेस को मदद मिली है।
लिवरेज मार्केट और इनवेस्टर्स के लिए खतरनाक
कामत ने कहा कि रेगुलेटर ने सबसे अच्छा काम यह किया है कि उसने लिवेरेज को खत्म कर दिया है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में रेवेन्यू के लिहाज से बिजनेस पर इसका असर पड़ा है… लेकिन लिवरेज दरअसल WMD की तरह है। यहां यानी स्टॉक मार्केट में डब्लूएमडी का मतलब वीपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन से है। इससे कुछ लोगों को फायदा हो सकता है, लेकिन लिवेरज का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोगों को लॉस होता है। लीवरेज के साथ प्रॉब्लम यह है कि इसका इस्तेमाल करने वाले लोग एक समय के बाद मार्केट में सक्रिय नहीं रह जाते हैं। इसकी वजह यह है कि वे जल्द पैसे गंवा देते हैं, जिसके बाद वे मार्केट में पार्टिसिपेट नहीं करते। एक ब्रोकर फर्म होने के नाते हम चाहते हैं कि स्टॉक मार्केट में लोगों का पार्टिसिपेशन बढ़े। लिवरेज का मतलब स्टॉक मार्केट में मुनाफा कमाने के लिए उधार के पैसे के इस्तेमाल से है।