YouTube Earnings on 1 Lakh Views यूट्यूब की दुनिया में कदम रखने वाले हर नए कंटेंट क्रिएटर के मन में सबसे पहला और आम सवाल यही होता है कि “मेरे वीडियो पर 1 लाख व्यूज आएंगे तो आखिर कितनी कमाई होगी?” कई लोगों को लगता है कि यह कोई गणित का फार्मूला है, जहां एक निश्चित संख्या में व्यूज पर एक तय रकम मिलती है। लेकिन, वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा जटिल और अलग है। यूट्यूब पर कमाई सिर्फ व्यूज का खेल नहीं, बल्कि एक एल्गोरिद्मिक इकॉनमी है, जो कई कारकों पर टिकी होती है।
‘दर्शकों का देश तय करता है आपकी कमाई’
यूट्यूब पर कमाई में सबसे बड़ा रोल इस बात का होता है कि आपके वीडियो को देखने वाले दर्शक किस देश से हैं। भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे देशों में विज्ञापन की दरें (Ad Rates) काफी कम होती हैं। अगर आपके 1 लाख व्यूज इन्हीं देशों से आते हैं, तो आपकी कमाई सीमित रहेगी।
इसके ठीक उलट, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में विज्ञापन दरें बेहद ऊंची हैं। इन देशों से आने वाले दर्शक किसी भी वीडियो की कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 1 लाख भारतीय व्यूज से आपको लगभग 3,000 से 10,000 रुपये तक मिल सकते हैं, जबकि वही 1 लाख अमेरिकी व्यूज आपको 20,000 से 70,000 रुपये या उससे भी ज्यादा की कमाई दे सकते हैं।
‘कंटेंट कैटेगरी का कमाई पर असर’
यूट्यूब सिर्फ वीडियो प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि विज्ञापनों का एक विशाल बाजार है। विज्ञापनदाता उन वीडियो पर ज्यादा पैसा खर्च करते हैं, जहां उन्हें उच्च आय वर्ग (High Income Group) वाले दर्शक मिलने की संभावना होती है या जहां बेचने योग्य प्रोडक्ट्स मौजूद होते हैं।
यही कारण है कि फाइनेंस, बिजनेस, स्टॉक मार्केट, बैंकिंग, एजुकेशन, करियर और टेक्नोलॉजी जैसी कैटेगरी में विज्ञापन की दरें बहुत ज्यादा होती हैं। इन विषयों पर बने वीडियो में 1 लाख व्यूज पर कभी-कभी 20,000 से 50,000 रुपये तक की कमाई भी सामान्य मानी जाती है। दूसरी ओर, व्लॉगिंग, म्यूजिक, मनोरंजन, कॉमेडी और भारत में गेमिंग जैसी कैटेगरी में विज्ञापन दरें कम होती हैं, इसलिए लाखों व्यूज के बावजूद कमाई सीमित रह जाती है।
‘विज्ञापन का प्रकार और यूट्यूब का कमीशन’
यूट्यूब पर दिखने वाले सभी विज्ञापन एक जैसी कमाई नहीं देते। सबसे ज्यादा कमाई ‘नॉन-स्किपेबल एड्स’ (जिन्हें स्किप नहीं किया जा सकता) और ‘हाई वैल्यू सीपीएम एड्स’ से होती है। मध्यम कमाई ‘स्किपेबल एड्स’ (जिन्हें 5 सेकंड बाद स्किप किया जा सकता है) से होती है। सबसे कम कमाई ‘डिस्प्ले एड्स’ (वीडियो के नीचे या साइड में दिखने वाले बैनर) से होती है। अगर आपके वीडियो पर ऐसे विज्ञापन आते हैं जिन्हें दर्शक स्किप कर देते हैं, तो आपकी कमाई लगभग आधी रह सकती है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यूट्यूब विज्ञापन से होने वाली पूरी आय क्रिएटर को नहीं देता। वह 45% हिस्सा अपने कमीशन के रूप में रख लेता है और केवल 55% ही क्रिएटर को देता है। यानी अगर किसी कंपनी ने विज्ञापन पर 100 रुपये खर्च किए, तो क्रिएटर को सिर्फ 55 रुपये ही मिलेंगे।
‘तो आखिर 1 लाख व्यूज पर कितनी कमाई?’
इन सभी कारकों को देखने के बाद यह साफ है कि 1 लाख व्यूज पर कमाई का कोई एक निश्चित आंकड़ा नहीं है। भारत में औसत कमाई 3,000 से 10,000 रुपये के बीच हो सकती है। अगर कंटेंट हाई-इनकम कैटेगरी का है या व्यूज विदेशों से हैं, तो यह कमाई 20,000 से 50,000 रुपये या उससे ज्यादा भी हो सकती है। वहीं, अगर वीडियो पर कम विज्ञापन इंप्रेशन आए या ज्यादातर विज्ञापन स्किप कर दिए गए, तो 1 लाख व्यूज पर कमाई 1,000 से 2,000 रुपये तक भी सिमट सकती है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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यूट्यूब की कमाई सिर्फ व्यूज पर नहीं, बल्कि दर्शकों के देश और वीडियो की कैटेगरी पर निर्भर करती है।
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अमेरिका, कनाडा जैसे देशों के व्यूज भारतीय व्यूज के मुकाबले कई गुना ज्यादा कमाई देते हैं।
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फाइनेंस और टेक्नोलॉजी जैसी कैटेगरी में विज्ञापन दरें कॉमेडी या व्लॉगिंग से ज्यादा होती हैं।
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यूट्यूब विज्ञापन से होने वाली कुल आय का 45% अपने पास रखता है और 55% क्रिएटर को देता है।






