बीते एक साल में अडानी ग्रुप के शेयर में 100 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली है. करीब 4 कंपनियों का मार्केट कैप डबल से ज्यादा हो चुकी है. वहीं दूसरी ओर अडानी के अमेरिकी दोस्त के निवेश की वैल्यू भी डबल से ज्यादा हो चुकी है.
किसे पता था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप एक साल के अंदर इतना मजबूत हो जाएगा कि निवेशकों के पैसों को डबल कर देगा. लेकिन ऐसा हुआ. क्योंकि जिस समय दुनिया का हर बड़ा निवेशक अडानी ग्रुप से अपना हाथ खींच रहा था तब अमेरिकी इंवेस्टर ने अडानी ग्रुप की कंपनियों पर भरोसा जताया. उस भरोसे को अडानी ने भी कायम रखा और अमेरिकी इंवेस्टर के निवेश को एक साल में डबल से भी ज्यादा कर दिया. ये निवेशक कोई और नहीं बल्कि जीक्यूजी पार्टनर्स के राजीव जैन हैं. जिन्होंने एक साल पहले अडानी ग्रुप की कंपनियों में 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया था. आज उस निवेश की वैल्यू करीब 35 हजार करोड़ रुपए हो गई है.
जीक्यूजी का पैसा हुआ डबल
2 मार्च, 2023 को, GQG पार्टनर्स ने 15,446 करोड़ रुपए का निवेश अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस (उस समय अडानी ट्रांसमिशन) और अडानी ग्रीन एनर्जी में किया था. मौजूदा समय में उस निवेश की वैल्यू एक साल में दोगुने से भी ज्यादा 34,489 करोड़ रुपए हो गई है. जीक्यूजी पार्टनर्स के अध्यक्ष और सीआईओ जैन ने तब कहा था कि वह अडानी ग्रुप कंपनियों में निवेश को लेकर काफी उत्साहित हैं. उनका मानना है कि इन कंपनियों में लांग टर्म में काफी ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि वह उन कंपनियों में निवेश करने से काफी खुश हैं जो भारत की इकोनॉमी और एनर्जी इंफ्रा को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.
बाद में भी किया निवेश
राजीव जैन मार्च में चार कंपनियों में शुरुआती निवेश के साथ ही नहीं रुके. एक साल में, GQG ने दो और कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी लगभग दोगुनी कर दी और दो अन्य कंपनियों में नई हिस्सेदारी भी खरीदी. जून तिमाही में, जैन ने अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी ग्रीन एनर्जी में निवेश किया और अंबुजा सीमेंट्स में नई हिस्सेदारी खरीदी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सेबी द्वारा जांच जारी होने के बावजूद ग्रुप में उनका विश्वास और मजबूत हुआ. पिछले साल अगस्त में, GQG पार्टनर्स ने अडानी पावर में 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया था.
एक साल में ऐसे बदला रुख
पिछले एक साल में, बैलेंस शीट को कम करने, प्रमोटर लेवल पर कर्ज कम करने और बिजनेस को काफी हद तक बढ़ाने की अपनी योजनाओं को जारी रखने के ग्रुप के प्रयासों ने शेयरों में रिकवरी में मदद की. अडानी ग्रुप के पोर्टफोलियो ने दिसंबर तिमाही में अपना अब तक का सबसे अधिक तिमाही मुनाफा कमाया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला कि सेबी से अन्य जांच एजेंसियों को जांच ट्रांसफर करने की कोई जरुरत नहीं है, और मार्केट रेगुलेटर की विश्वसनीयता बहाल करना अडानी ग्रुप के लिए सोने पर सुहागा था. इन सभी फैक्टर्स के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में जोरदार सुधार हुआ. GQG पार्टनर्स के निवेश के बाद से, अदानी ग्रुप के चार शेयरों का मार्केब्ब्ट दोगुना से अधिक हो गया है.