Income Tax Return: इनकम टैक्स विभाग ने टैक्स चोरी करने वालों और गलत तरीके से रिफंड लेने वालों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। Data Analytics और AI Tools (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए विभाग ने एक ऐसे बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है जो कमीशन के आधार पर लोगों के आईटीआर में फर्जी Deductions क्लेम करवा रहा था। अब ऐसे टैक्सपेयर्स पर न केवल भारी जुर्माने की गाज गिरेगी, बल्कि उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।
इनकम टैक्स विभाग की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि देशभर में कुछ इंटरमीडियरीज (बिचौलियों) ने एजेंट्स का एक पूरा नेटवर्क तैयार कर लिया है। ये एजेंट्स टैक्सपेयर्स को ज्यादा रिफंड दिलाने का लालच देकर इनकम टैक्स एक्ट के तहत बढ़ा-चढ़ाकर या पूरी तरह से फर्जी क्लेम फाइल करवा रहे हैं।
‘एजेंट्स का काला खेल’
जांच में सामने आया है कि ज्यादातर फर्जी क्लेम का संबंध ‘रजिस्टर्ड अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टीज’ (Registered Unrecognized Political Parties) और कुछ चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस को दिए गए डोनेशन से है। ये एजेंट्स टैक्सपेयर्स से कमीशन लेते हैं और बदले में उनके रिटर्न में फर्जी डोनेशन दिखाकर टैक्स बचाते हैं। विभाग ने ऐसे कई सेक्शंस की पहचान की है जहां सबसे ज्यादा हेराफेरी हो रही है।
इन चीजों में हो रही हेराफेरी
अथॉरिटीज ने पाया है कि लोग सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा HRA (हाउस रेंट अलाउंस), Health Insurance, पॉलिटिकल और जनरल डोनेशंस, और होम लोन या एजुकेशन लोन पर ब्याज के क्लेम में कर रहे हैं। फर्जी रसीदें लगाकर टैक्स सिस्टम को धोखा देने की यह कोशिश अब विभाग की पकड़ में आ चुकी है।
200% जुर्माना और 7 साल की जेल
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फर्जी क्लेम फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स को अब भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इनकम टैक्स एक्ट के नियमों के तहत:
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Section 270A: मिस-रिपोर्टिंग (गलत जानकारी) के लिए बकाया टैक्स पर 200% तक की Penalty लगाई जा सकती है।
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Section 234B & 234C: इसके तहत 24% सालाना ब्याज (Interest) वसूला जा सकता है।
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Section 276C: अगर जानबूझकर टैक्स चोरी साबित होती है, तो 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।
संपादक का विश्लेषण: ‘जुगाड़’ का दौर खत्म
एक वरिष्ठ Editor के तौर पर इस कार्रवाई को देखें, तो यह साफ है कि अब टैक्स सिस्टम में ‘जुगाड़’ का दौर खत्म हो चुका है। विभाग अब केवल कागजों पर निर्भर नहीं है, बल्कि Artificial Intelligence आपकी पाई-पाई का हिसाब रख रहा है। यह कार्रवाई उन वेतनभोगी कर्मचारियों (Salaried Employees) के लिए एक सख्त चेतावनी है जो थोड़े से रिफंड के लालच में फर्जी रसीदें लगाते हैं। याद रखें, चंद रुपयों का रिफंड आपके करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि टैक्स चोरी का दाग आसानी से नहीं धुलता।
सिस्टम खुद भेजेगा नोटिस
फर्जी क्लेम पर लगाम लगाने के लिए विभाग ने नए ITR Forms में डिस्क्लोजर के नियम सख्त कर दिए हैं। अब आपको HRA कैलकुलेशन, सेक्शन 80D के तहत इंश्योरेंस कंपनी की डिटेल, और सेक्शन 80E/80EE के तहत लोन सेंक्शन की पूरी जानकारी देनी होगी। अगर आपके द्वारा दिए गए डेटा और विभाग के डेटा में कोई भी ‘मिसमैच’ (Mismatch) पाया जाता है, तो सिस्टम ऑटोमैटिकली टैक्स नोटिस जनरेट कर देगा।
बचने का यह है रास्ता
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि अगर किसी टैक्सपेयर को लगता है कि उसने गलती से या किसी के बहकावे में आकर गलत Deduction क्लेम कर लिया है, तो वह ITR-U (Updated Return) फाइल कर सकता है। इसके जरिए वह अपनी गलती सुधार सकता है, फर्जी क्लेम हटा सकता है और पेनल्टी से बच सकता है। टैक्सपेयर्स को थर्ड पार्टी रिफंड एजेंट्स से दूर रहना चाहिए और ईमानदारी से अपना रिटर्न भरना चाहिए।
जानें पूरा मामला
यह मामला तब सामने आया जब विभाग ने देखा कि टीडीएस रिफंड के दावों में अचानक असामान्य बढ़ोतरी हुई है। डीप एनालिसिस करने पर पता चला कि कुछ विशेष एजेंट्स फर्जी तरीके से HRA और डोनेशन दिखाकर लोगों का रिफंड क्लेम करवा रहे हैं। इसके बाद विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई शुरू की है।
मुख्य बातें (Key Points)
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AI और डेटा एनालिटिक्स से पकड़े गए फर्जी ITR क्लेम।
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फर्जीवाड़ा करने पर 200% Penalty और 7 साल तक की जेल संभव।
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HRA, डोनेशन और इंश्योरेंस क्लेम में सबसे ज्यादा गड़बड़ी मिली।
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गलती सुधारने के लिए टैक्सपेयर्स ITR-U फाइल कर सकते हैं।






