ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग की मदद से साइलेंटवर्ल्ड ने पूरे मिशन को को-ऑर्डिनेट किया। मिशन को मोंटेवीडियो मारू सोसायटी का भी सपोर्ट मिलाा, जिसे जहाज में सवार कैदियों के रिश्तेदारों ने बनाया है। कई और टीमें भी मिशन में शामिल थीं और वर्षों से शोध कर रही थीं कि जहाज की खोज कहां की जाए।
लंबी रिसर्च के बाद खोज टीम समुद्र में एक एरिया पर फोकस करने लगी। 6 अप्रैल को टीम ने मल्टीबीम सोनार इक्विपमेंट की मदद से इलाके को स्कैन करना शुरू किया। करीब 12 दिनों की खोज के बाद 18 अप्रैल को दक्षिण चीन सागर में लगभग 13,100 फीट (4,000 मीटर) की गहराई पर मलबे का पता लगा। इस क्षेत्र का नियंत्रण फिलीपींस के पास है। रिपोर्ट के अनुसार, मलबे की इमेजेस और जहाज के ब्लू प्रिंट की तुलना के बाद यह सुनिश्चित हुआ कि मलबा उसी जापानी जहाज का है, जिसे अमेरिकी पनडुब्बी के हमले ने बर्बाद करके डुबो दिया था।
रिसर्चर्स का कहना है कि यह खोज बताती है कि आज भी जीवित लोग अपने मृतक रिश्तेदार के प्रति सम्मान रखते हैं। जहाज में सवार कुल 1,054 कैदियों में ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई थे। कुल 850 सैनिक, नाविक और एविएटर जहाज में मौजूद थे। कहा जाता है कि अमेरिकी पनडुब्बी इस बात से अनजान थी कि जहाज में कैदी सवार हैं। पनडुब्बी ने कम से चार टॉरपीडो को जापानी जहाज पर दागा था। एक निशाना सही लगा और जहाज सिर्फ 11 मिनट में डूब गया था।