World Media on Putin India Visit: भारत और रूस की दशकों पुरानी दोस्ती एक बार फिर दुनिया के सामने अपनी मजबूती साबित कर रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिल्ली पहुंचते ही पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिक गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए जिस गर्मजोशी से एयरपोर्ट पर अपने दोस्त पुतिन का स्वागत किया, उसने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में हलचल तेज कर दी है। पुतिन 4 से 5 दिसंबर के दो दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं और उनके स्वागत के लिए राजधानी में भव्य तैयारियां की गई हैं।
अमेरिकी मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चा
पुतिन के इस दौरे को लेकर सबसे ज्यादा बहस अमेरिकी मीडिया में चल रही है। सीएनएन से लेकर वाशिंगटन पोस्ट तक ने भारत, रूस और अमेरिका के त्रिकोणीय समीकरणों पर लंबे लेख छापे हैं। सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब पुतिन दिल्ली उतरे, तो उनका स्वागत भारत के सबसे पक्के साझेदार की तरह धूमधाम से किया गया। अमेरिकी मीडिया का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी एक ही समय में अमेरिका जैसे अहम ग्लोबल पार्टनर और रूस जैसे पुराने दोस्त के साथ रिश्ते साधने की कोशिश कर रहे हैं। इसे भारत का ‘डिप्लोमेटिक स्प्लिट स्क्रीन’ कहा जा रहा है—एक तरफ रूस से फाइटर जेट्स और सस्ता तेल, तो दूसरी तरफ अमेरिका से टेक्नोलॉजी और ट्रेड।
भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता का टेस्ट
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में इस दौरे को पीएम मोदी के लिए बेहद अहम बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह भारत की जियोपॉलिटिकल ऑटोनॉमी (भू-राजनीतिक स्वायत्तता) का बड़ा टेस्ट है। पीएम मोदी दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अब भी पुतिन को अपना सच्चा साथी मानते हैं और किसी भी बाहरी दबाव, चाहे वह अमेरिका का हो या किसी और का, उसके आगे झुकने वाले नहीं हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर कई प्रतिबंध लगे हैं, फिर भी भारत अपने पुराने मित्र के साथ मजबूती से खड़ा है।
पुरानी केमिस्ट्री और डिफेंस डील
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दोनों नेताओं की ‘पर्सनल केमिस्ट्री’ पर जोर दिया है। अखबार ने लिखा कि एयरपोर्ट पर मोदी और पुतिन का गले मिलना उनके मजबूत व्यक्तिगत रिश्तों को दर्शाता है। पुतिन के प्लेन से उतरते ही मोदी ने हाथ मिलाया और गले मिले। इसे ‘लिमो डिप्लोमेसी’ के तौर पर भी देखा जा रहा है, जैसा कि सितंबर में चीन के तियांजिन में देखा गया था। इस छोटे से दौरे में डिफेंस डील और व्यापार को आसान बनाने के समझौतों पर मुहर लगने की उम्मीद है। दोनों नेताओं के बीच व्यापार और कामगारों के प्रवाह को सुगम बनाने पर भी चर्चा होनी है।
पश्चिमी देशों की बढ़ती बेचैनी
द गार्डियन ने लिखा है कि यह मुलाकात राजनीतिक रूप से बेहद नाजुक समय में हो रही है। चार साल पहले जब पुतिन भारत आए थे, तब दुनिया की स्थिति अलग थी। उस समय कोविड के कारण मुलाकात सिर्फ 5 घंटे की थी। लेकिन अब, जब ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश यूक्रेन युद्ध के कारण रूस का खुलकर विरोध कर रहे हैं, भारत में पुतिन का स्वागत अमेरिका और यूरोपीय देशों की बेचैनी बढ़ा रहा है। 5 दिसंबर को होने वाली बैठक पर सभी की नजरें हैं, जहां कई बड़ी डील्स होने की संभावना है।
जानें पूरा मामला
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह दौरा यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद उनका पहला भारत दौरा है। इससे पहले वे करीब 4 साल पहले भारत आए थे। पिछले कुछ सालों में वैश्विक समीकरण तेजी से बदले हैं। अमेरिका और पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए रूस के साथ अपने संबंधों को न केवल बरकरार रखा है, बल्कि और गहरा किया है। यह दौरा इसी स्वतंत्र विदेश नीति का प्रमाण है।
मुख्य बातें (Key Points)
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प्रधानमंत्री मोदी ने एयरपोर्ट पर खुद जाकर पुतिन का भव्य स्वागत किया।
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अमेरिकी मीडिया ने इसे भारत का ‘डिप्लोमेटिक स्प्लिट स्क्रीन’ मोमेंट बताया है।
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बीबीसी के अनुसार, यह भारत की कूटनीतिक आजादी का कड़ा इम्तिहान है।
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दौरे के दौरान रक्षा सौदों और व्यापारिक समझौतों पर बड़े ऐलान हो सकते हैं।






