The News Air- संयुक्त समाज मोर्चा के मुख्यमंत्री चेहरे बलबीर सिंह राजेवाल की उम्मीदवार ने पंजाब के लुधियाना ज़िले की समराला सीट को हॉट बना दिया है। अभी तक यहां से कांग्रेस और अकाली दल के ही उम्मीदवार जीतते रहे हैं। राजेवाल का नाम अनाउंस होने के बाद हलक़े में सियासी समीकरण बदलने लगे हैं। अब इस सीट पर चुनाव के नतीजे भले कुछ निकले, फ़िलहाल सीट पर सियासी गर्मी बढ़ गई है।
देश की आज़ादी के बाद अब तक हुए चुनावों में इस सीट पर कभी कोई बड़ा नेता चुनाव नहीं लड़ा है। 1972 के बाद 10 विधानसभा चुनावों को देखें तो यहां 6 बार कांग्रेस और 4 बार शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज़ की है। 1997, 2002, 2012 और 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस के अमरीक सिंह ढिल्लों जीते हैं। 2017 चुनाव में आम आदमी पार्टी के सरबंस सिंह मानकी दूसरे नंबर पर रहे थे और 11005 वोट से हार गए थे। इस सीट पर पहली बार शिरोमणि अकाली दल बादल तीसरे स्थान पर रहा।
राजेवाल के आते ही रोचक हुआ मुक़ाबला
पिछले चुनाव में अपना प्रदर्शन देख आम आदमी पार्टी ने इस बार जीत पक्की करने के लिए कमर कस ली थी। अब बलबीर सिंह राजेवाल के चुनाव में उतरने से मुक़ाबला काफ़ी रोचक हो गया है। कृषि क़ानून वापस करवाने के बाद किसान संगठन चुनावी दंगल में उतरे हैं। इससे सूबे में चुनावी मुक़ाबले दिलचस्प हो गए हैं। AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी किसानों के चुनाव लड़ने से उनकी पार्टी को चुनाव में नुक्सान होने की बात कह चुके हैं। किसान संगठनों से समझौते की बात भी सामने आई थी लेकिन सीटों पर बात नहीं बनी। अब दोनों ही दल एक दूसरे पर हमलावर हैं।
1.67 हज़ार वोटों वाला समराला अब ख़ास
1 लाख 67 हज़ार वोट वाला समराला विधान सभा क्षेत्र इस बार काफ़ी चर्चा में रहने वाला है। यह सीट पूरी तरह से ग्रामीण वोट बैंक पर निर्धारित है और किसानी का यहां पर बेहद प्रभाव है। बलवीर सिंह राजेवाल भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष हैं और इसी एरिया से ही उनकी यूनियन का अच्छा ख़ासा प्रभाव है। यह एरिया पूरी तरह से कृषि पर आधारित है तो उनकी तरफ़ से किसानों के लिए कई तरह के काम यहां पर करवाए गए हैं, यही उनकी ताक़त भी है। यही कारण है कि उनका प्रभाव यहां पर बेहद ज़्यादा है।
1972 से कर रहे किसानों के लिए काम
78 साल के किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल 1972 से किसानों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने 1972 पंजाब खेतीबाड़ी यूनियन का गठन किया था। 1978 में इसे भारतीय किसान यूनियन में बदल दिया और बीकेयू का संविधान भी बलवीर सिंह राजेवाल ने ही लिखा। खन्ना के आासपास के एरिया में उनकी अच्छी फ़ैन फॉलोइंग है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है।