The News Air-रोज़ 24 घंटे में कई-कई बार फ़ोन कर लेते थे। दो दिन से एक कॉल नहीं आई। बच्चे सारा दिन फ़ोन देखकर पूछते हैं कि पापा का फ़ोन नहीं आया। क्या जवाब दूं बच्चों को, समझ ही नहीं आ रहा। ये शब्द हैं 8 दिसंबर को हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए गुरसेवक सिंह की पत्नी जसप्रीत कौर के, जो दो दिन से पति के फ़ोन के इंतज़ार में टकटकी लगाए थी, लेकिन अब पति का फ़ोन कभी नहीं आएगा, क्योंकि वह उसे छोड़कर दुनिया से चला गया है।
जसप्रीत अभी सदमे में है और पति गुरसेवक की मौत स्वीकार नहीं कर रही। बच्चों को भी नहीं बताया। उन्हें कहती है कि पापा का फ़ोन जल्दी आ जाएगा। वे ज़रूरी मीटिंग में व्यस्त हैं। वह गुरु साहिबान के आगे हाथ जोड़कर गुरसेवक के सही सलामत होने की दुआ करती है। कहती है कि दो दिन पहले उनका फ़ोन नहीं आया तो मैंने फ़ोन कर लिया था। उन्होंने उन्होंने सभी का हालचाल पूछा और उसके खाना खाने के बारे में भी बात की।
पिता रो-रो कर बेटे का नाम पुकार रहे
शहीद गुरसेवक के पिता काबल सिंह भी बेटे की मौत से सदमे में हैं। वे रो-रो कर बेटे को पुकार रहे हैं। कहते हैं कि गुरसेवक तू कहां गया? एक बार मुझे आवाज़ दे दे। रोज़ फ़ोन करता था। दिन में कई फ़ोन करता था। फ़ोन से आवाज़ लगाता था। पूछता था क्या कर रहे हो? खेत में जा आए। दवाई ले ली। दो दिन से फ़ोन ही नहीं आया उसका। फ़ोन आता था तो लगता था, हाँ वो है। दो दिन से नहीं आया तो पता चला कि वो है ही नहीं।
यूनिट ने फ़ोन करके परिवार को बताया
देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ (CDS) बिपिन रावत के साथ 8 दिसंबर को हेलिकॉप्टर क्रैश में तरनतारन के नायक सूबेदार गुरसेवक सिंह भी शहीद हुए हैं। गुरसेवक तरनतारन के क़स्बा खालड़ा के गांव दोदे के रहने वाले थे। आर्मी की 9 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट में तैनात रहते हुए उन्हें CDS बिपिन रावत की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। बुधवार शाम को उनकी यूनिट ने भाई गुरबख्श सिंह व जसविंदर सिंह को फ़ोन करके जानकारी दी।
पिता और पत्नी रहते हैं बीमार
परिवार ने बुधवार रात पत्नी जसप्रीत कौर और बुज़ुर्ग पिता काबल सिंह को गुरसेवक की शहादत की जानकारी नहीं दी थी। दोनों की तबियत ठीक नहीं हैं और दोनों का इलाज पास के अस्पताल से चल रहा है। लेकिन सुबह गांव में सूचना फैलने के बाद घटना की जानकारी जसप्रीत को भी मिल गई। फ़िलहाल उसके घर पर मातम छाया हुआ है और पत्नी जसप्रीत का रो-रो कर बुरा हाल है।
2 बहनें और 5 भाई, किसानी परिवार
गांव वालों ने जानकारी दी कि गुरसेवक ने अपनी स्कूलिंग पास के ही सरकारी स्कूल खालड़ा से की थी। स्कूलिंग के बाद ही गुरसेवक ने आर्मी जॉइन कर ली थी। जॉब के साथ वह हायर एजुकेशन भी ले रहा था, जैसे ही डिग्री पूरी हुई, उसकी प्रमोशन भी होती गई। गुरसेवक की दो बहने हैं और 5 भाई हैं। पूरा परिवार किसानी है और खेती पर ही निर्भर है।
बेटियों से बहुत प्यार था गुरसेवक को
गुरसेवक 14 नवंबर को ही छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर गया था। जाने से पहले वह परिवार के साथ बाबा बुड्ढा साहिब भी गया और परिवार के लिए आशीर्वाद लिया। गुरसेवक की 2 बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी सिमरन 9 साल और छोटी बेटी गुरलीन 7 साल की है। उनका बेटा फ़तेह सिंह सिर्फ़ 3 साल का है। उसे अपने बच्चों से बहुत ज़्यादा प्यार था। ड्यूटी से जितना भी थका हो, लेकिन बच्चों से फ़ोन पर रोज़ बात करता था।