नई दिल्ली, 04 अक्टूबर (The News Air): इंडियन मार्केट 3 अक्टूबर को क्रैश कर गया। मार्केट में बड़ी गिरावट की आशंका पहले से थी। मिडिलईस्ट क्राइसिस, एफएंडओ के नए नियम और चीन के स्टॉक मार्केट्स में आई तेजी से इंडियन मार्केट्स को गिरने की वजह मिल गई। फिलहाल, इंडिया सहित दुनियाभर के मार्केट्स के लिए मिडिलईस्ट क्राइसिस बड़ा खतरा बना हुआ है। जेफरीज के क्रिस वुड ने कहा है कि अगर जियोपॉलिटिकल हालात बिगड़ते हैं तो इंडिया और दुनियाभर के बाजारों में बड़ी गिरावट आएगी।
सबसे ज्यादा चिंता ऑयल (Crude Oil Price) की बढ़ती कीमतों की वजह से है। अगर इजराइल (Israel) ईरान (Iran) के तेल के ठिकानों को निशाना बनाता है तो इससे क्रूड ऑयल की कीमतें आसमान में पहुंच सकती हैं। यह इंडिया जैसे ऑयल इंपोर्ट करने वाले कंपनियों के लिए बहुत खराब होगा। इंडिया में व्यापार घाटा बहुत बढ़ सकता है।
ICICI Bank ने हाल में अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। उसने कहा है कि अगर क्रूड ऑयल का भाव 80-90 डॉलर प्रति बैरल के बीच में रहता है तो इंडिया का Trade Deficit (व्यापार घाटा) FY25 में 266 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ऑयल के 10 डॉलर और चढ़ने पर ट्रेड डेफिसिट 276 अरब डॉलर तक जा सकता है। जहां तक स्टॉक मार्केट की बात है तो इंडिया में अभी बुलरन खत्म नहीं हुआ है। Morgan Stanley के रिद्धम देसाई का कहना है कि इंडिया में बुलरन ने अभी अपना आधा सफर तय किया है। देसाई का यह मानना रहा है कि बड़ी गिरावट से बाजार में हलचल होती है, लेकिन निवेशकों के लिए निवेश का मौका भी होता है।
एनालिस्ट्स का कहना है कि निवेशकों को अभी सावधान रहने की जरूरत है। फार्मा और एफएमसीजी जैसे डिफेंसिव सेक्टर्स में निवेश किया जा सकता है। विदेशी निवेशक इंडिया से पैसा निकालकर चीन के स्टॉक्स मार्केट्स में लगा रहे हैं। उन्हें हांगकांग में वैल्यूएशन अट्रैक्टिव लग रही है। इससे इंडियन मार्केट्स पर दबाव बना रह सकता है। ऐसे में मार्केट में किसी तरह की गलती की गुंजाइश नहीं रह गई है। निवेशकों को सोचसमझ कर फैसले लेने की जरूरत है।
डाबर इंडिया का शेयर 3 अक्टूबर को 5.7 फीसदी लुढ़क कर 583.65 रुपये पर बंद हुआ। इसकी वजह एक ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट है। इसमें कहा गया है कि कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति है, जिसका असर डाबर की सेल्स पर पड़ सकता है। बुल्स का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में डिमांड में रिकवरी शुरू हो गई है। इसका फायदा डाबर को मिलेगा। Dabur के मैनेजमेंट ने तीसरी तिमाही से स्ट्रॉन्ग ग्रोथ की उम्मीद जताई है। बेयर्स का कहना है कि कुछ राज्यों में बाढ़ और शहरों में सुस्त डिमांड की वजह से साल दर साल आधार पर डाबर के कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू में 5 फीसदी की कमी दिख सकती है। डाबर का प्रदर्शन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले कमजोर रहा है। ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि आगे भी यह ट्रेड बना रहेगा।
पेट्रोनेट एलएनजी के शेयर 3 अक्टूबर को 5.8 फीसदी उछाल के साथ 364 रुपये पर बंद हुए। इसकी वजह एमके ग्लोबल की रिपोर्ट है। ब्रोकरेज फर्म ने Petronet LNG के शेयरों को खरीदने की सलाह दी है। उसने स्टॉक का टारगेट प्राइस बढ़ाकर 425 रुपये कर दिया है। इस अपग्रेड की वजह पेट्रोनेट का ऐलान है, जिसमें उसने कहा है कि उसके दो नए एलएनजी टैंक्स चालू हो गए हैं। बुल्स का कहना है कि दाहेज टर्मिनल का इस फाइनेंशियल ईयर की बाकी अवधि में करीब 100 फीसदी इस्तेमाल की संभावना है। शेयरों की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव बनी हुई है। उधर, बेयर्स का कहना है कि साल 2028 में कतरगैस रिन्यूएल के बाद टैरिफ को लेकर थोड़ी चिंता दिख रही है।
क्रॉम्पटन ग्रीव्ज का शेयर 3 अक्टूबर को 1 फीसदी गिरकर 427 रुपये पर बंद हुआ। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने Crompton Greaves के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। इसके बावजूद शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बुल्स का कहना है कि कंपनी ने अपनी मार्केट स्ट्रेटेजी में कुछ बदलाव किया है, जिसका फायदा उसे मिलेगा। हालांकि, शॉर्ट टर्म में डिमांड कमजोर है। अगर लंबे समय तक डिमांड कमजोर बनी रहती है तो इसका असर कंपनी के रेवेन्यू पर दिख सकता है।