Pakistan Political Crisis – पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी को 17-17 साल की कठोर सजा सुनाई गई है, जिसके बाद से देश भर में तनाव का माहौल है। इस भारी उथल-पुथल के बीच, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), के साथ बातचीत की पेशकश की है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब पीटीआई समर्थक सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं और देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की आशंका जताई जा रही है।
शहबाज शरीफ की शर्त: बातचीत सिर्फ ‘वैध मुद्दों’ पर होगी
इस्लामाबाद में संघीय कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार पीटीआई के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए एक शर्त है। उन्होंने कहा कि अगर पीटीआई गंभीरता से संवाद चाहती है, तो सरकार भी राजी है, लेकिन यह बातचीत केवल “वैध मुद्दों” (Valid Issues) पर ही होगी। शरीफ ने दो टूक कहा कि किसी भी तरह की धमकी या दबाव की राजनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश के विकास और स्थिरता के लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच सामंजस्य होना अत्यंत आवश्यक है।
इमरान खान का जेल से संदेश: ‘हकीकी आज़ादी’ के लिए जान भी कुर्बान
दूसरी ओर, जेल की सलाखों के पीछे से इमरान खान ने अपने समर्थकों में जोश भरने का काम किया है। उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को निर्देश दिया है कि वे “आसिम कानून” के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी करें। यह सीधा इशारा पाकिस्तान के शक्तिशाली सेना प्रमुख, जनरल आसिम मुनीर, की तरफ माना जा रहा है। एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए खान ने कहा, “पूरे देश को अपने अधिकारों के लिए उठ खड़ा होना चाहिए। न्याय के लिए संघर्ष करना एक पवित्र कर्तव्य है और मैं अपने देश की ‘हकीकी आज़ादी’ के लिए अपनी जान कुर्बान करने को भी तैयार हूँ।”
सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री की चुप्पी, विपक्ष का मिला-जुला रुख
एक तरफ जहाँ पीटीआई समर्थक इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इमरान खान के तीखे बयानों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। माना जा रहा है कि वे दोनों इमरान खान को एक बड़े राजनीतिक खतरे के रूप में देख रहे हैं। इस बीच, विपक्षी गठबंधन ‘तहरीक-ए-तहफ्फुज-ए-आईन-ए-पाकिस्तान’ (TTAP) ने भी संवाद के लिए अपने दरवाजे खुले रखने की बात कही है, लेकिन अभी तक दोनों पक्षों के बीच कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। इससे पहले दिसंबर में भी बातचीत की कोशिशें नाकाम रही थीं।
विश्लेषण: क्या यह शरीफ की मजबूरी है या कोई नई चाल? (Expert Analysis)
शहबाज शरीफ का यह ‘बातचीत’ का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब उनकी सरकार चौतरफा दबाव में है। एक तरफ आर्थिक संकट है, दूसरी तरफ इमरान खान की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। जेल में होने के बावजूद, इमरान खान जनता की नब्ज पकड़ने में कामयाब रहे हैं। शरीफ का यह कदम संभवतः बढ़ते जन आक्रोश को ठंडा करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देने की एक कोशिश हो सकती है कि उनकी सरकार लोकतांत्रिक तरीके से संकट का हल निकालना चाहती है। हालांकि, ‘वैध मुद्दों’ की शर्त लगाकर उन्होंने पहले ही बातचीत का दायरा सीमित कर दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या वे वास्तव में समाधान चाहते हैं या यह सिर्फ एक राजनीतिक पैंतरा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Imran Khan और उनकी पत्नी को भ्रष्टाचार के मामले में 17-17 साल की जेल हुई है।
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प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने PTI के साथ ‘वैध मुद्दों’ पर बातचीत की पेशकश की है।
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इमरान खान ने जेल से समर्थकों को सड़क पर उतरने और ‘हकीकी आज़ादी’ के लिए संघर्ष का आह्वान किया है।
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शरीफ ने साफ किया है कि धमकी या दबाव की राजनीति पर कोई बात नहीं होगी।
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देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की आशंका बनी हुई है।






