iPhone Manufacturing in India: अमेरिका (USA) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल ही में ऐपल (Apple) और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों से आह्वान किया था कि वे भारत (India) या चीन (China) जैसे देशों की बजाय अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएं। उनका कहना था कि अमेरिकी नागरिकों को रोजगार देने की दिशा में यह एक अहम कदम होगा। लेकिन New York Times की एक ताज़ा रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि भारत से iPhone मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हटाना ऐपल के लिए संभव नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु (Bengaluru) के बाहरी इलाके देवनहल्ली (Devanahalli) में स्थापित फॉक्सकॉन (Foxconn) के आईफोन प्लांट ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, बल्कि भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब भी बना दिया है। फॉक्सकॉन ने यहां करीब 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है और 300 एकड़ में फैली फैक्ट्री में इस समय 8000 कर्मचारी कार्यरत हैं। वर्ष के अंत तक यहां 40,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
भारत में आईफोन असेंबलिंग का काम तेजी से बढ़ रहा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार वर्ष की शुरुआत तक दुनियाभर में बिकने वाले 18% iPhones भारत में तैयार हो रहे थे और इस आंकड़े के साल के अंत तक 30% तक पहुंचने की संभावना है। यही नहीं, भारत में सस्ती श्रमिक लागत, कम संचालन खर्च और बड़ी युवा जनसंख्या ने इसे मैन्युफैक्चरिंग के लिए आदर्श स्थल बना दिया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में अब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आसान हो गई है और सरकार भी विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। देवनहल्ली इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कुछ साल पहले तक यह इलाका विरान था, लेकिन फॉक्सकॉन के आगमन के बाद यहां रियल एस्टेट, मल्टीनेशनल कंपनियों, इंटरनेशनल स्कूल्स, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों का तांता लग गया है। जमीन की कीमतों में 400% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यहां 57 मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि अमेरिका में उत्पादन करना ऐपल जैसी कंपनी के लिए बेहद महंगा साबित होगा। वहां लेबर की लागत अधिक है, जमीन सस्ती नहीं मिलती और लॉजिस्टिक्स की जटिलताएं भी ज्यादा हैं। इसके विपरीत भारत ने खुद को सस्ते, कुशल और टिकाऊ मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में स्थापित किया है। यही कारण है कि ऐपल, फॉक्सकॉन और उससे जुड़ी कई ताइवानी, अमेरिकी और कोरियाई कंपनियां भारत में उत्पादन बढ़ा रही हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि भले ही डोनाल्ड ट्रंप भारत में iPhone निर्माण पर आपत्ति जताएं, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में अमेरिका के लिए ऐपल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को भारत से हटाना बेहद कठिन है।