Pollution and Rheumatoid Arthritis Link: सर्दियों का मौसम आते ही दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक बढ़ जाता है। खांसी, गले में खराश और आंखों में जलन जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह जहरीली हवा सिर्फ आपके फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि आपकी हड्डियों और जोड़ों को भी बीमार बना रही है? जी हां, एम्स की एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि बढ़ता प्रदूषण रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) यानी गठिया के दर्द को कई गुना बढ़ा सकता है।
क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस?
रूमेटाइड अर्थराइटिस गठिया का एक बहुत ही आम प्रकार है, जिसमें मुख्य रूप से हाथ और पैरों के छोटे जोड़ों में दर्द होता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका मतलब है कि इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) गलती से अपने ही स्वस्थ सेल्स और टिश्यूस पर हमला कर देता है।
इस बीमारी में इम्यून सिस्टम जोड़ों के ऊतकों पर अटैक करता है, जिससे जोड़ों में सूजन, तेज दर्द और जकड़न होने लगती है। समय के साथ यह जोड़ों को खराब कर सकता है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है।
प्रदूषण और गठिया का खतरनाक कनेक्शन
जैसे ही सर्दियों में प्रदूषण का लेवल बढ़ता है, अस्पतालों में रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीजों की संख्या में भी इजाफा होने लगता है। मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, डॉक्टर अखिलेश यादव ने प्रदूषण और गठिया के बीच के इस लिंक को समझाया है।
डॉक्टर यादव के अनुसार, वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 (Particulate Matter) यानी धूल, मिट्टी, पराग और केमिकल्स के बहुत बारीक कण सांस के जरिए हमारे फेफड़ों और फिर खून में मिल जाते हैं। यह शरीर में इन्फ्लेमेशन यानी अंदरूनी सूजन पैदा करते हैं, जिसका असर जोड़ों पर भी पड़ता है।
ओवरएक्टिव हो जाता है इम्यून सिस्टम
लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से इम्यून सिस्टम ओवरएक्टिव (अतिसक्रिय) हो जाता है। ऐसा होने पर शरीर की इम्यूनिटी हेल्दी टिश्यूस को ही दुश्मन समझकर उन पर हमला कर देती है। इससे न सिर्फ रूमेटाइड अर्थराइटिस, बल्कि दूसरी ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
यह खतरा उन लोगों में और ज्यादा होता है, जिनके परिवार में पहले से किसी को ऑटोइम्यून बीमारी का इतिहास रहा हो। जो लोग पहले से ही रूमेटाइड अर्थराइटिस से जूझ रहे हैं, बढ़ते प्रदूषण से उनकी दिक्कतें और लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
प्रदूषण से बचाव ही है उपाय
इस खतरे से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप प्रदूषण से अपना बचाव करें।
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एक्यूआई चेक करें: रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज जब भी घर से बाहर निकलें, तो पहले अपने इलाके का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) जरूर चेक करें। अगर एक्यूआई ज्यादा है, तो बाहर जाने से बचें।
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सही मास्क का इस्तेमाल: अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो N95 या N99 मास्क पहनकर ही निकलें। N95 मास्क 95% तक और N99 मास्क 99% तक प्रदूषण के महीन कणों को फिल्टर कर सकता है।
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घर को सुरक्षित रखें: घर के खिड़की-दरवाजे बंद रखें और हो सके तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
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डॉक्टर के संपर्क में रहें: अपनी दवाइयां समय पर लें और अगर दर्द या सूजन बढ़ती है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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बढ़ता वायु प्रदूषण रूमेटाइड अर्थराइटिस (गठिया) के दर्द और सूजन को बढ़ा सकता है।
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प्रदूषण के पीएम 2.5 कण सांस के जरिए शरीर में जाकर इम्यून सिस्टम को ओवरएक्टिव कर देते हैं।
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यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर खुद के ही जोड़ों पर हमला करने लगता है।
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प्रदूषण से बचने के लिए N95 या N99 मास्क का इस्तेमाल करें और AQI चेक करके ही बाहर निकलें।






