China Border से सटे दिबांग वैली को क्यों माना जाता है अहम?

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अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि दिबांग वैली में लैंड स्लाइड की खबर प्राप्त हुई है। हाईवे 313 से ही दिबांग वैली पूरे देश से कनेक्ट होती है। हमने तुरंत संपर्क स्थापित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआडीसीएल) ने राजमार्ग के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में भारी भूस्खलन के कारण राजमार्ग का एक बड़ा हिस्सा बह गया है। इस वजह से चीन की सीमा पर स्थित दिबांग वैली को देश से जोड़ने वाला एकमात्र हाईवे लैंडस्‍लाइड में पूरी तरह से तबाह हो गया। अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण कल जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-313 पर हुनली और अनिनी के बीच भारी भूस्खलन हुआ। सामने आए वीडियो से अरुणाचल में आए भारी तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। पवर्तीय इलाका होने की वजह से तबाही भी ज्‍यादा हुई है। इस कठिन इलाके में राजमार्ग को जीवन रेखा माना जाता है।

सीएम ने दिया निर्देश 

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि दिबांग वैली में लैंड स्लाइड की खबर प्राप्त हुई है। हाईवे 313 से ही दिबांग वैली पूरे देश से कनेक्ट होती है। हमने तुरंत संपर्क स्थापित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।  राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआडीसीएल) ने राजमार्ग के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। लेकिन लगातार हो रही बारिश की वजह से मरम्मत के काम में खासी दिक्कतों का सामने करना पड़ रहा है। प्रशासन के अनुसार स्थिति को सामान्य होने में कम से कम तीन दिन का समय लगेगा।

दिबांग वैली क्यों माना जाता है अहम

नॉर्थ ईस्ट में प्रमुख रूप से बहने वाली दिबांग नदी भारत-तिब्बत केया दर्रे से पास से निकलती है। यह अरुणाचल प्रदेश में मुख्य रूप से बहती है। यह मिश्मी पहाड़ियों से होती हु निजामघाट के बाद मैदानी इलाके में पहुंचती है। दिबांग नदी कई परियोजनाओं के लिए भी जानी जाती है। केंद्र सरकार द्वारा दिबांग जलविद्युत परियोजना को हरी झंडी दिखाई गई। कहा जा रहा है कि यह परियोजन अरुणाचल प्रदेश की निचली दिबांग घाटी पर चीन की सीमा के करीब स्थापित की जा रही है। इस परियोजना द्वारा लगभग 2,880 मेगावाट बिजली का उत्पन्न होगी।(ये हैं भारत की श्रापित नदियां)चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों की वजह से अब सीमावर्ती इलाके में आधारभूत ढांचा मजबूत करने की कवायद के तहत इलाके में बड़े पैमाने पर पहाड़ियों को काट कर सड़क बनाने का काम शुरू हुआ।

 

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