Google Search: हाल ही में इंटरनेट पर एक अजीब मामला सामने आया। जब किसी ने गूगल पर ‘इडियट’ टाइप किया, तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें सामने आने लगीं। इस पर तुरंत राजनीतिक बहस शुरू हो गई और आरोप लगे कि गूगल जानबूझकर पक्षपात कर रहा है।
लेकिन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने साफ किया कि यह किसी कर्मचारी की मैन्युअल छेड़छाड़ का नतीजा नहीं था। यह पूरी तरह एल्गोरिद्म और यूजर्स की ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़ा स्वाभाविक परिणाम था।
एल्गोरिद्म कैसे काम करता है : पिचाई के अनुसार, गूगल का सर्च इंजन 200 से ज्यादा फैक्टर्स के आधार पर कंटेंट रैंक करता है, जैसे प्रासंगिकता, ताजगी और यूजर एंगेजमेंट। इसमें किसी स्टाफ का व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं होता।
जब बड़ी संख्या में यूजर्स किसी शब्द को किसी इमेज या पेज से जोड़ते हैं, तो एल्गोरिद्म उस पैटर्न को पकड़ लेता है और परिणामस्वरूप वही इमेज रिज़ल्ट में दिखने लगती है। यही वजह है कि ‘इडियट’ सर्च करने पर ट्रंप की तस्वीरें दिखाई दीं।
‘गूगल बॉम्बिंग’ का असर : दरअसल, यह मामला ‘गूगल बॉम्बिंग’ नामक ऑनलाइन ट्रेंड से जुड़ा था। Reddit जैसे प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स ने ट्रंप की तस्वीरों को ‘इडियट’ शब्द से लिंक किया। लगातार ऐसा होने से एल्गोरिद्म ने इसे प्रासंगिक मान लिया।
पहले भी ऐसा देखा गया है। उदाहरण के लिए, ‘miserable failure’ सर्च करने पर पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की तस्वीरें दिखाई देती थीं।
राजनीति और डिजिटल दुनिया की सीख : इस घटना के बाद ट्रंप ने गूगल पर राजनीतिक पक्षपात का आरोप लगाया, लेकिन जांच में कोई सबूत नहीं मिला। सुंदर पिचाई ने दोहराया कि गूगल सिर्फ यूजर एक्टिविटी को ट्रैक करता है, न कि कोई राजनीतिक एजेंडा।
यह घटना साफ दर्शाती है कि इंटरनेट पर सामूहिक यूजर व्यवहार कैसे सर्च रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है। डिजिटल दुनिया में यूजर्स की गतिविधियां ही जानकारी की विजिबिलिटी और प्रभाव तय करती हैं।
Key Points (मुख्य बातें)
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गूगल पर ‘इडियट’ सर्च करने पर ट्रंप की फोटो दिखी।
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मामला एल्गोरिद्म और यूजर्स की ऑनलाइन एक्टिविटी से जुड़ा था।
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गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने मैन्युअल हस्तक्षेप का खंडन किया।
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यह घटना डिजिटल दुनिया में सामूहिक यूजर व्यवहार की ताकत को दिखाती है।






