Religious Intolerance: भारत दुनिया को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाता है, लेकिन देश के ही चार राज्यों से आई खबरें चिंताजनक हैं। एक तरफ हम बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे ही देश में क्रिसमस मनाने पर पाबंदियां और धमकियां दी जा रही हैं। यह विरोधाभास आखिर क्यों?
देश में Constitution (संविधान) सबको अपनी मर्जी से धर्म मानने और त्योहार मनाने की आजादी देता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो बताती हैं कि कुछ लोग खुद को धर्म का ठेकेदार मान बैठे हैं। दिल्ली, ओडिशा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश—इन चार राज्यों में क्रिसमस के विरोध का तरीका यह बताने के लिए काफी है कि समाज में नफरत की जड़ें कितनी गहरी होती जा रही हैं।
‘हिंदू हैं तो क्रिसमस नहीं, तुलसी पूजन मनाएं’
होली, दिवाली और ईद की तरह क्रिसमस भी भारत में मिलजुल कर मनाया जाता रहा है। लेकिन अब सोशल मीडिया, खासकर WhatsApp पर, एक नया ट्रेंड चलाया जा रहा है। संदेश फैलाए जा रहे हैं कि “अगर आप हिंदू हैं तो क्रिसमस न मनाएं, बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाएं।” यह केवल संदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर भी इसके गंभीर परिणाम दिख रहे हैं।
दिल्ली: महिलाओं को भगाया, AAP नेता का तंज
देश की राजधानी दिल्ली के ‘ईस्ट ऑफ कैलाश’ इलाके का एक वीडियो सामने आया है। यहां कुछ महिलाएं बाजार में सेंटा क्लॉज की टोपी और पम्फलेट बांट रही थीं। वहां मौजूद कुछ लोगों ने न सिर्फ इस पर आपत्ति जताई बल्कि उन्हें वहां से भगाना शुरू कर दिया।
इस घटना पर दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि वे ऐसे हजारों ‘अंकलों’ को जानते हैं जो यहां धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं और सेंटा क्लॉज को गाली देते हैं, लेकिन उनके ही बच्चे अमेरिका और यूरोप में ‘मैरी क्रिसमस’ मनाते हैं और वहां से डॉलर्स भेजते हैं। पुलिस का कहना है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है और इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।
ओडिशा और हरिद्वार: कहीं धमकी, कहीं पार्टी कैंसिल
विरोध की आग सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। ओडिशा से एक वीडियो वायरल हो रहा है जहां सड़क किनारे सेंटा क्लॉज की ड्रेस और टोपी बेच रहे एक गरीब दुकानदार को कार में आए कुछ लोग धमकाते नजर आ रहे हैं। वे उसे ‘हिंदू राष्ट्र’ की बातें सुनाकर दुकान बंद करने का दबाव बना रहे थे।
वहीं, उत्तराखंड के हरिद्वार में मामला और भी गंभीर है। यहां गंगा किनारे स्थित ‘भागीरथी होटल’, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित होता है, में 24 दिसंबर को क्रिसमस पार्टी का आयोजन होना था। लेकिन वहां के पंडितों और पुरोहितों ने इसका कड़ा विरोध किया। धमकी दी गई कि अगर पार्टी कैंसिल नहीं हुई तो वे वहां आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। दबाव में आकर प्रशासन को पार्टी रद्द करनी पड़ी।
इंदौर: स्कूलों को चेतावनी
मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘हिंदू जागरण मंच’ ने तो एक तरह का फरमान ही जारी कर दिया है। मंच के जिला संयोजक ने चेतावनी दी है कि यदि किसी स्कूल या कार्यक्रम में माता-पिता की अनुमति के बिना बच्चों को सेंटा क्लॉज या जोकर बनाया गया, तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों को “सबक सिखाया जाएगा”।
यह चिंता का विषय है कि जब कोई भी समूह कानून हाथ में लेकर यह तय करने लगेगा कि कौन सा त्योहार मनाया जाए और कौन सा नहीं, तो कानून का राज कैसे चलेगा?
विश्लेषण: दोहरे मापदंड और समाज में बढ़ती खाई
एक वरिष्ठ संपादक के तौर पर इस पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह हमारे समाज के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। जब बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं, तो पूरा भारत एक सुर में उसका विरोध करता है—और यह सही भी है। लेकिन जब हमारे ही देश में ईसाइयों या क्रिसमस मनाने वालों को डराया-धमकाया जाता है, तो हम वही गलती दोहरा रहे होते हैं जिसका हम पड़ोसी देश में विरोध कर रहे हैं। धर्म के नाम पर त्योहारों का विरोध किसी धर्म को मजबूत नहीं करता, बल्कि यह देश की सामाजिक एकता में दरार डालता है। कानूनन अगर कुछ गलत हो रहा हो तो पुलिस का काम है उसे रोकना, लेकिन सड़क चलते लोगों द्वारा ‘धार्मिक ठेकेदारी’ करना लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
पृष्ठभूमि: क्यों हो रहा है विरोध?
जानें पूरा मामला: पिछले कुछ वर्षों में भारत में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा 25 दिसंबर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ के रूप में मनाने का अभियान तेज हुआ है। इन संगठनों का तर्क है कि क्रिसमस पश्चिमी संस्कृति का प्रतीक है और इससे हिंदू संस्कृति को खतरा है। इसी विचारधारा के तहत स्कूलों में बच्चों के सेंटा बनने या सार्वजनिक जगहों पर क्रिसमस सेलिब्रेशन का विरोध किया जा रहा है, जिसे वे धर्मांतरण की कोशिशों से भी जोड़कर देखते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली: सेंटा की टोपी बांट रही महिलाओं को भीड़ ने भगाया।
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हरिद्वार: यूपी सरकार के होटल में आयोजित क्रिसमस पार्टी विरोध के बाद रद्द।
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इंदौर: स्कूलों को धमकी- बच्चों को सेंटा बनाया तो सिखाएंगे सबक।
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ओडिशा: सड़क किनारे सेंटा ड्रेस बेच रहे दुकानदार को धमकाया गया।
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तर्क: सोशल मीडिया पर ‘क्रिसमस नहीं, तुलसी पूजन’ का अभियान जोरों पर।






