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Home Breaking News

Bihar हार के बाद Congress में कौन बनेगा ‘बलि का बकरा’?

Congress Crisis Bihar: बिहार की हार का ठीकरा कृष्ण अल्लावरू के सिर फोड़ने की तैयारी, नेतृत्व को बचाने की कवायद

The News Air Team by The News Air Team
शनिवार, 22 नवम्बर 2025
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Congress Bihar Election Loss : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर आत्मचिंतन और जिम्मेदारी से भागने का दौर शुरू हो गया है। पार्टी नेतृत्व को बचाने की कवायद में, अब बिहार की हार का ठीकरा राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कृष्णा अल्लावरू के सिर फोड़ने की तैयारी है। कांग्रेस में एक तबका बिहार और दिल्ली दोनों जगह इस हार के लिए अल्लावरू को जिम्मेदार ठहराना चाहता है, जिसके ज़रिए दो प्रमुख व्यक्तियों—ऑर्गेनाइजेशनल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल और खुद राहुल गांधी—को टारगेट किया जा सके।

संगठन की कमी, हार की बड़ी वजह

सच्चाई यह है कि कांग्रेस के पास आज की तारीख में वो संगठन और क्षमता ही नहीं है कि वह बिहार जैसे राज्य में मजबूती से लड़ सके। कांग्रेस के नेता दबी जुबान में मानते हैं कि हार तो होनी ही थी, बस इतनी बड़ी हार की उम्मीद नहीं थी।

  • पुरानी हारों से सबक नहीं: महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में बड़ी हार के बाद भी कांग्रेस ने आत्मचिंतन का दिखावा किया, लेकिन उसका क्या नतीजा निकला, आज तक किसी को पता नहीं है।

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  • निवेश की कमी: कांग्रेस ने बिहार में न तो उतनी इन्वेस्टमेंट की थी और न ही उतनी गंभीरता दिखाई थी। उन्हें लगा था कि आरजेडी उनकी साख बचा लेगी।

  • आत्मचिंतन से परहेज: जब आग चारों तरफ होती है, तो कांग्रेस नेतृत्व एक छोटी लकड़ी का सहारा लेकर आगे बढ़ना चाहता है, जैसे राजस्थान और तेलंगाना उपचुनावों की जीत का जिक्र करना।

‘इंडिया अलायंस’ का भविष्य खतरे में

बिहार की हार ने इंडिया अलायंस के भीतर कांग्रेस की स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है।

  • सहयोगियों का सवाल: 2024 लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस को लगा था कि सब उसकी लीडरशिप मान लेंगे, लेकिन बिहार के नतीजों के बाद सहयोगी दल अब सवाल उठा रहे हैं: “वेयर इज इंडिया अलायंस?”। महीनों बाद भी इंडिया अलायंस की कोई बड़ी मीटिंग नहीं हुई है।

  • ममता का कड़ा रुख: कांग्रेस की इस हार के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब कांग्रेस के साथ सीट एडजस्टमेंट करने के मूड में नहीं होंगी, क्योंकि वह खुद नंबर वन लीडर हैं।

  • आगे की चुनौतियाँ: कांग्रेस अब अगले चुनावों के लिए दो राज्यों- केरल (जहाँ लेफ्ट मुख्य प्रतिद्वंद्वी है) और असम (जहाँ डायरेक्ट फाइट है) पर ध्यान देगी। अगर ये दो राज्य भी कांग्रेस के हाथ से निकल गए, तो पार्टी एक गंभीर संकट में घिर जाएगी।

नेतृत्व को बचाने के लिए बलि का बकरा

कांग्रेस में टिपिकल सिचुएशन यह है कि वह किसी एक व्यक्ति को सीधे जिम्मेदार ठहराने से कतराएगी, क्योंकि अगर एक व्यक्ति को अकाउंटेबल रखा गया, तो सवाल नेतृत्व पर उठेगा। इसलिए नेतृत्व को बचाने के लिए पार्टी ‘स्केपगोट’ (बलि का बकरा) ढूंढ रही है। चूँकि कांग्रेस की बिहार में ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं थी, इसलिए नेता हार की जिम्मेदारी लेने के बजाय ‘स्टेटस को’ (Status Quo) बनाए रखने के मूड में हैं। यहाँ तक कि कर्नाटक में सिद्धारमैया की जगह शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भी अगले दो-तीन महीने के लिए टाल दिया गया है।

क्या है पृष्ठभूमि

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, महागठबंधन (जिसमें कांग्रेस एक प्रमुख हिस्सा थी) को बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन से करारी हार मिली। इस हार के बाद कांग्रेस के भीतर यह सवाल उठा कि क्या यह नेतृत्व या संगठन की असफलता है। अतीत में भी महाराष्ट्र और हरियाणा की हार के बाद पार्टी ने कोई बड़ा संगठनात्मक बदलाव नहीं किया था। इस बार भी, हार की जिम्मेदारी संगठन के प्रमुखों या राहुल गांधी के करीबी लोगों पर डालने की कोशिश की जा रही है, ताकि पार्टी में बड़े, आंतरिक बदलावों से बचा जा सके, जो अगले चुनावों में इंडिया अलायंस के भविष्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।

मुख्य बातें (Key Points)
  • बिहार चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में कृष्णा अल्लावरू को ‘बलि का बकरा’ बनाने की तैयारी है ताकि नेतृत्व को बचाया जा सके।

  • कांग्रेस नेतृत्व इस हार के लिए केसी वेणुगोपाल और अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी को टारगेट करने से बचना चाहता है।

  • हार के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ‘स्टेटस को’ (Status Quo) बनाए रखने के मूड में है और किसी बड़े बदलाव से कतरा रहा है।

  • सहयोगी दल ‘इंडिया अलायंस’ के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं, जिससे गठबंधन का भविष्य खतरे में पड़ गया है।

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