Bihar Cabinet Expansion: बिहार (Bihar) में इस साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर नया सियासी संतुलन बनाने की कोशिश की है। बुधवार को हुए कैबिनेट विस्तार में भाजपा (BJP) के सात विधायकों को मंत्री बनाया गया। राजधानी पटना (Patna) के राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने नए मंत्रियों को शपथ दिलाई।
नई कैबिनेट में जिबेश कुमार (Jibesh Kumar), संजय सरावगी (Sanjay Sarawagi), सुनील कुमार (Sunil Kumar), राजू कुमार सिंह (Raju Kumar Singh), मोती लाल प्रसाद (Moti Lal Prasad), विजय कुमार मंडल (Vijay Kumar Mandal) और कृष्ण कुमार मंटू (Krishna Kumar Mantu) को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
अब कितने मंत्री, किस पार्टी से कितने?
कैबिनेट विस्तार के बाद बिहार सरकार में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। इसमें भाजपा के 21, जदयू (JDU) के 13, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के 1 और 1 निर्दलीय मंत्री शामिल हैं।
नीतीश कुमार ने इस मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरणों को बारीकी से साधने की कोशिश की है।
कैबिनेट में जातीय समीकरण, किस जाति को कितनी जगह?
नीतीश सरकार के इस मंत्रिमंडल विस्तार में विभिन्न जातियों को उनकी संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।
1. सामान्य वर्ग (Upper Castes) – 11 मंत्री
- राजपूत (Rajput) – 5
- भूमिहार (Bhumihar) – 3
- ब्राह्मण (Brahmin) – 2
- कायस्थ (Kayastha) – 1
2. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) – 10 मंत्री
- कोईरी-कुशवाहा (Koeri-Kushwaha) – 4
- कुर्मी (Kurmi) – 3
- वैश्य (Vaishya) – 2
- यादव (Yadav) – 1
3. अति पिछड़ा वर्ग (EBC) – 7 मंत्री
- मल्लाह (Mallah) – 3
- कहार (Kahar) – 1
- तेली (Teli) – 1
- धानुक (Dhanuk) – 1
- नोनिया (Nonia) – 1
4. अनुसूचित जाति (SC) – 5 मंत्री
- पासवान (Paswan) – 2
- रविदास (Ravidas) – 2
- पासी (Pasi) – 1
5. महादलित वर्ग – 2 मंत्री
- मुसहर (Mushar) – 2
6. मुस्लिम समुदाय – 1 मंत्री
- पठान (Pathan) – 1
‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ – कितनी सही हुई यह नीति?
बिहार की राजनीति में ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ की मांग लंबे समय से होती रही है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस मंत्रिमंडल विस्तार में इसे लागू करने की कोशिश की, लेकिन कुछ समुदायों को उनका पूरा प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया।
जातिगत जनगणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या और कैबिनेट में हिस्सेदारी:
वर्ग | बिहार में आबादी (%) | कैबिनेट में हिस्सेदारी (%) |
---|---|---|
पिछड़ा वर्ग (OBC) | 27.12% | 28% |
अनुसूचित जाति (SC) | 19.65% | 19% |
अति पिछड़ा वर्ग (EBC) | 36% | 19% |
सामान्य वर्ग (Upper Caste) | 15.52% | 31% |
EBC को कम और सवर्णों को ज्यादा प्रतिनिधित्व?
- EBC की आबादी 36% है लेकिन उन्हें सिर्फ 19% कैबिनेट में हिस्सेदारी मिली।
- वहीं, सामान्य वर्ग की आबादी 15.52% है लेकिन कैबिनेट में उन्हें 31% प्रतिनिधित्व मिला।
क्या यह जातीय संतुलन चुनावी रणनीति है?
इस मंत्रिमंडल विस्तार को आगामी चुनावों के नजरिए से देखा जा रहा है। भाजपा और जदयू दोनों ने ऐसे जातीय समूहों को प्राथमिकता दी है, जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। खासकर राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा और दलित समुदायों को साधने की कोशिश की गई है।
नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक अति पिछड़ा वर्ग (EBC) रहा है, लेकिन इस विस्तार में उन्हें अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी मिली। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार ने अपनी पारंपरिक रणनीति में बदलाव किया है?
निष्कर्ष: चुनावी गणित के हिसाब से कैबिनेट विस्तार
नीतीश सरकार का यह कैबिनेट विस्तार पूरी तरह जातीय संतुलन और आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है।
- पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति को उनकी जनसंख्या के हिसाब से संतुलित प्रतिनिधित्व दिया गया।
- EBC को अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी मिली, जबकि सामान्य वर्ग को उनकी आबादी से दोगुना प्रतिनिधित्व मिला।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जातीय संतुलन नीतीश कुमार और भाजपा के चुनावी समीकरण में कितना फायदेमंद साबित होता है।