नई दिल्ली, 6 अगस्त (The News Air)
कोरोना की दूसरी लहर कमज़ोर पड़ने के बीच पंजाब, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों ने स्कूलों को फिर से खोल दिया है। वहीं, दिल्ली, राजस्थान गोवा समेत कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अभी स्कूलों को खोलने पर फ़ैसला नहीं लिया है। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कई पेरेंट्स ऐसे हैं जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर डरे हुए हैं। विदेश में हुई स्टडी में कहा गया है कि स्कूलों को खोला जा सकता है। हालांकि, इस संबंध में स्कूल के अंदर के साथ ही बाहर भी सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है।
अमेरिका में क़रीब 90% टीचर्स व स्कूल स्टाफ़ को वैक्सीन-हालांकि, स्टडी में अमेरिका की स्थिति और वहाँ के बच्चों के आधार पर एनालिसिस किया गया है। द वाशिंगटन पोस्ट में 26 मई को एक आर्टिकल में बताया गया कि अमेरिका में एक और कोरोना की लहर देखने को मिल रही है लेकिन वहाँ की 50 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। जबकि भारत में महज़ 8% लोगों को ही कोरोना वैक्सीन लगाई गई है। वाइट हाउस की तरफ़ से जारी 2 अगस्त की एक फैक्ट शीट में बताया गया कि वहाँ लगभग 90% एजुकेटर्स और स्कूल स्टाफ़ को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
बच्चों के लिए कम है ख़तरा-अब तक हुई कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना संक्रमण से बच्चों को ख़तरा कम है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ पीडिएट्रिक के डेटा के हवाले से वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि कोरोना से संक्रमित महज़ 0.1% से 1.9% बच्चों को ही अस्पताल में एडमिट करने की ज़रूरत पड़ती है। जब अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की तरफ़ से मार्च में स्कूलों को खोलने की अनुमति दी गई थी तब अमेरिका में बहुत कम संख्या में ही लोगों को कोरोना वैक्सीन लगी थी।
संक्रमण बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं-इसके बावज़ूद भारत जैसे देश जहां बहुत कम लोगों को वैक्सीन लगी है, वहाँ मास्क नहीं लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने पर कोरोना के मामले बढ़ने की आशंका हो सकती है। पिछले साल मार्च में इज़राइल के साथ भी ऐसा ही हुआ था। भीषण गर्मी की वजह से स्कूलों में मास्क की छूट के साथ ही एसी चलाने की अनुमति दी गई थी। वहाँ 15 दिन में ही कोरोना संक्रमण के दो मामले सामने आने के बाद कुल मामले बढ़कर 153 हो गए थे। इसमें 25 स्कूल स्टाफ़ भी शामिल थे।
स्कूल खोलना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है?-एक्सपर्ट का कहना है कि स्कूल खोलना मुख्य रूप से लोगों की प्राथमिकता पर निर्भर करता है। ऐसे में सवाल है कि क्या स्कूल खोलना देश की शीर्ष प्राथमिकता है? एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि एक बार हम बच्चों को स्कूल भेजने का मन बना ले तो सुरक्षा ज़्यादा मुश्किल नहीं है। कोरोना संक्रमण से बचाव में मास्क काफ़ी अहम है। इसके अलावा स्कूल में कमरों में वेंटिलेशन की सही व्यवस्था होनी चाहिए। एसी ऑफ़ होना चाहिए।