Bournvita विवाद में फंस गया है। यह बच्चों के सबसे मशूहर हेल्थ ड्रिंक में से एक है। एक सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर के बॉर्नविटा में शुगर की मात्रा को लेकर सवाल उठाने के इस विवाद की शुरुआत हुई। इंस्टाग्राम पर इस बारे में सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर के पोस्ट को बड़ी संख्या में यूजर्स ने देखा है। हालांकि, बाद में इस पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा लिया गया। लेकिन, इसे लेकर नई बहस शुरू हो गई है। मिंट के मुताबिक, इस सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर का नाम Revant Himatsingka है। वह एक न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ कोच हैं। बॉर्नविटा की पेरेंट कंपनी ने हिमतसिंग्का को 17 अप्रैल को कानूनी नोटिस भेजा है।
हिमतसिंग्का ने अपने पोस्ट में बॉर्नविटा में चीनी की ज्यादा मात्रा होने के साथ ही कुछ ऐसी चीजें मौजूद होने के बारे में कहा था, जिससे कैंसर का खतरा होता है। उन्होंने यह भी कहा था कि बॉर्नविटा को अपनी टैगलाइन ‘तैयारी जीत की’ से बदलकर ‘तैयारी डायबिटीज की’ कर देनी चाहिए। द प्रिंट के मुताबिक, हिमतसिंग्का ने यह भी लिखा, “क्या सरकार को कंपनियों को अपने पैकेज पर झूठी जानकारी देने की इजाजत देनी चाहिए? पेरेंट्स देख रहे हैं कि कम उम्र में ही उनके बच्चों को शुगर की लत लग रही है। फिर बच्चों में बड़े होने पर भी शुगर की चाहत बनी रहती है।”
हिमतसिंग्का के वीडियो को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खूब बहस हो रही है। बॉलीवुड एक्टर परेश रावल और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने इस वीडियो को शेयर किया। दी प्रिंट के मुताबिक, बॉर्नविटा ने 9 अप्रैल को एक बयान जारी किया। उसने कहा कि उसके प्रोडक्ट को वैज्ञानिक फॉर्मूले के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें ऐसी चीजें मौजूद हैं, जिसके इस्तेमाल की कानूनी इजाजत है। उसने यह भी कहा कि ऐसी सभी चीजों की जानकारी पैक पर दी गई है।
बॉर्नविटा की पेरेंट कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बॉर्नविटा को 7 दशक से ज्यादा समय से भारतीय उपभोक्ताओं का प्यार और भरोसा हासिल है। इसमें विटामिन ए, सी, डी, आयरन, जिंक, कॉपर और सेलेनियम जैसे न्यूट्रिएंट्स शामिल हैं, जो इम्यूनिटी विकसित करने में मदद करते हैं।
हिमतसिंग्का ने लीगल नोटिस मिलने के बाद इंस्टाग्राम पर लिखा, “मैंने 13 अप्रैल को इंडिया की एक बड़ी लॉ फॉर्म की तरफ से लीगल नोटिस मिलने के बाद सभी प्लेटफॉर्म्स से वीडियो हटाने का फैसला किया है। मैं इस वीडियो को बनाने के लिए कैडबरी से क्षमा मांगता हूं। मेरा मकसद किसी ट्रेडमार्क पर सवाल उठाने या किसी कंपनी को बदनाम करना नहीं था। मेरी दिलचस्पी इस तरह के किसी कोर्ट केस में शामिल होने में नहीं है। मैं इस एमएसी से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले को कानूनी रास्ते पर आगे नहीं बढ़ाए।”