Parsi New Year 2022: आज है पारसी न्यू ईयर 'नवरोज', जानिए इसकी परंपरा, इतिहास और महत्व
नवरोज को पारसी न्यू ईयर भी कहा जाता है। पारसी समुदाय के लोगों के लिए नवरोज का पर्व आस्था का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन को पारसी समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जिस तरह से हिंदू समाज में चैत्र माह से नए साल कि शुरुआत होती है
नवरोज दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- नया दिन। यानी कि नवरोज के त्योहार के साथ पारसी समुदाय के नए साल की शुरुआत होती है।
नवरोज का इतिहास मान्यताओं के अनुसार पारसी समुदाय के लोग नवरोज का पर्व फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं।
कैसे मनाते हैं ये पर्व? नवरोज के दिन पारसी परिवार के सभी सदस्य सुबह जल्दी उठकर तैयार होते हैं और मान्यताओं के अनुसार राजा जमदेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं
Nowruz 2022: जानिए क्या है नवरोज, जिसपर रंगीन Doodle बनाकर बधाई दे रहा Google
नवरोज दुनिया की सबसे पुरानी छुट्टियों में से एक है और यह मूल रूप से लगभग 3,000 साल पुराना है.
अग्नि की है मान्यता लगभग हर संप्रदाय में जिस तरह अग्नि की मान्यता है, ठीक उसी तरह पारसी समुदाय भी नवरोज के दिन अग्नि को लेकर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं.
पारसी न्यू ईयर को जमशेदी नवरोज, नवरोज, पतेती और खोरदाद साल के नाम से भी जाना जाता है.
यह ईरानी नव वर्ष (Iranian New Year) है जिसे फारसी नव वर्ष (Persian New Year) के रूप में भी जाना जाता है।
यह त्योहार विभिन्न समुदायों द्वारा 3,000 वर्षों से मध्य एशिया, पश्चिमी एशिया, काला सागर बेसिन, काकेशस, बाल्कन और दक्षिण एशिया में मनाया जाता है।
पारसी न्यू ईयर के दिन लोग पारंपरिक डिशेज घर में बनाते हैं। इस दिन पारसी मंदिर अगियारी में भी विशेष प्रार्थनाएं होती हैं। लोग मंदिर में जाकर फल, चंदन, दूध और फूलों का चढ़ावा देते हैं।