ये पुरानी प्रथाएं होनी  चाहिए खत्म

भारत में आज भी कई ऐसी शोषणकारी प्रथाएं हैं जिन्हें अब खत्म हो जाना चाहिए। जानें इनके बारे में। 

बेटियां कोई सामान नहीं हैं जिसे दान किया जाए। शादी में पुरुष और स्त्री को समान हक मिलने चाहिए।

आज जब महिलाएं और पुरुष दोनों वर्किंग हैं ऐसे समय में खाना बनाने की जिम्मेदारी भी दोनों की साझा होनी चाहिए।

दुल्हन के पिता और रिश्तेदार दूल्हे के पांव पानी में धोते हैं। कई जगहों पर दुल्हन को भी ऐसा करना होता है।

पुराने समय में जब दूल्हा नंगे पैर चलकर शादी में  आता था तो उसके पैर गंदे हो जाते थे। ऐसे में उसके पैर धुलवाये जाते थे। 

बोहरा कम्यूनिटी में आज भी लड़कियों की यौन क्षमता को कम करने के लिए उनके प्राइवेट पार्ट के कुछ भाग ब्लेड से काट दिए जाते हैं। 

इसमें पुजारी मंदिर की छत से नवजात शिशु को नीचे छोड़ता है और नीचे लोग चादर लेकर खड़े रहते हैं ताकि बच्चे को कैच कर सकें। 

साउथ इंडिया में अंगारों पर चलने की प्रथा है।  मान्यता है कि इससे बुरी एनर्जी दूर होती है और ईश्वर के प्रति सम्मान प्रदर्शित होता है। 

इसमें तलवार, सुई जैसी नुकीली चीजों से खुद के शरीर में छेद करना होता है। मान्यता है कि इससे शरीर में भगवान प्रवेश करते हैं। 

साउथ इंडिया में कई पेरेंट्स अपनी बेटी को किशोरावस्था से पहले मंदिरों को समर्पित कर देते थे।

देवदासियों की शादी भगवान से कराई जाती थी। किशोरावस्था के बाद उन्हें जिस्मफरोशी के बाजार में उतार दिया जाता था।

अब देवदासी प्रथा पर बैन लग चुका है। लेकिन  जानकारी के अनुसार अब भी कहीं-कहीं चोरी छिपे ऐसा हो रहा है। 

इस्लाम, ज्यूइश और ईसाई धर्म में कुछ ऐसी प्रथाएं हैं जिसमें ब्लेड लगी बेल्ट से लोग खुद को पीटते हैं। 

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