Rahul Gandhi Amit Shah Debate: लोकसभा में अमित शाह और राहुल गांधी के बीच जबरदस्त टकराव हो गया। राहुल गांधी ने खड़े होकर अमित शाह को खुली चुनौती दे दी कि वोट चोरी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ डिबेट करें। लगा कि अमित शाह इस चैलेंज को स्वीकार कर लेंगे और देश एक ऐतिहासिक बहस देखेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अमित शाह उस समय EVM और चुनाव सुधार के मुद्दे पर बोल रहे थे। तभी राहुल गांधी ने उन्हें टोका और कहा कि तीन प्रेस कॉन्फ्रेंसों पर डिबेट कर लीजिए। उन्होंने कहा – “अमित शाह जी, आई चैलेंज यू टू हैव अ डिबेट ऑन द थ्री प्रेस कॉन्फ्रेंसेस।”
अमित शाह ने दिया अनुभव का हवाला
अमित शाह ने अपने 30 साल के संसदीय अनुभव का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि उनके भाषण का क्रम वही तय करेंगे और कोई दूसरा तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा – “आपकी मुंसफी से संसद नहीं चलेगी। मेरे यहां बोलने का क्रम मैं तय करूंगा। इस तरह से नहीं चलेगी संसद।”
यह बात तकनीकी रूप से सही थी लेकिन राहुल गांधी ने लोकसभा में भाषण के क्रम की बात नहीं कही थी। उन्होंने तो अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिबेट की बात कही थी जिसका सीधा जवाब अमित शाह ने नहीं दिया।
अमित शाह का तर्क – जीत पर चुनाव आयोग अच्छा, हार पर बुरा
अमित शाह ने कहा कि बीजेपी 2014 के बाद भी कई चुनाव हारी है। छत्तीसगढ़ में 2018 में हारे, राजस्थान में हारे, मध्य प्रदेश में हारे और कर्नाटक में भी हारे। तेलंगाना, चेन्नई और बंगाल में जीत नहीं पाए।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा – “तब तो मतदाता सूची बहुत अच्छी होती है। टब से नए कपड़े पहनकर आप शपथ ले लेते हो। जब मुंह की पटकनी पड़ती है बिहार की तरह, तब मतदाता सूची का विरोध करते हो।”
अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे। जब विपक्ष जीतता है तो चुनाव आयोग महान है और जब हारता है तो चुनाव आयोग निकम्मा है।
वोट चोरी का आरोप कब से शुरू हुआ – यह समझना जरूरी
यह समझना जरूरी है कि वोट चोरी का आरोप एक दिन में नहीं लगा। यह आरोप महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों के बाद से उठने शुरू हुए। राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंसों में कई बार कहा कि दो-तीन विधानसभाओं की ही जांच हो सकी है।
राहुल गांधी ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उसमें कर्नाटक की आलंद सीट का उदाहरण दिया। उस सीट पर कांग्रेस चुनाव जीती थी और उस राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसलिए यह कहना कि कांग्रेस जीतने पर आरोप नहीं लगाती, सही नहीं है।
हरियाणा में क्या हुआ था – राहुल गांधी का दावा
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि हरियाणा में सारे संकेत कांग्रेस की जीत के थे। पांच एग्जिट पोल कह रहे थे कि कांग्रेस स्वीप करेगी। ओपिनियन पोल भी यही कह रहे थे। यहां तक कि बीजेपी के लोग भी बता रहे थे कि इस बार कांग्रेस सरकार बनाएगी।
राहुल गांधी ने कहा था – “पहली बार हुआ कि पोस्टल बैलेट्स और राज्य का नतीजा अलग-अलग थे। कांग्रेस पोस्टल बैलेट्स को स्वीप करती है लेकिन नतीजा बिल्कुल दूसरा आता है।”
उनका दावा था कि एक ऑपरेशन सरकार चोरी लागू किया गया जिससे कांग्रेस की लैंडस्लाइड विक्ट्री को हार में बदल दिया गया।
कर्नाटक का महादेवपुरा – राहुल के सबूत
राहुल गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा की वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने गुरकीरत सिंह डांग नाम के एक वोटर का उदाहरण दिया जिसका नाम चार-चार बूथों पर था – बूथ नंबर 116, 124, 125 और 126 में।
इसके अलावा आदित्य श्रीवास्तव का उदाहरण दिया जिसका नाम महाराष्ट्र में भी था, कर्नाटक में भी था और उत्तर प्रदेश के लखनऊ और वाराणसी में भी था। एक ही व्यक्ति का नाम चार जगह।
राहुल गांधी ने विशाल सिंह का भी उदाहरण दिया जिसका नाम कर्नाटक में दो बार और वाराणसी में एक बार आता है। उनका दावा था कि इस तरह एक विधानसभा में 11,000 लोगों ने वोट किया।
11,000 डुप्लीकेट वोटर की फाइल – मीडिया के सामने रखी
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 11,000 डुप्लीकेट वोटर की एक पूरी फाइल मीडिया के सामने रख दी। उन्होंने कहा था कि एक विधानसभा का इतना दस्तावेज है कि इसे खड़ा करने पर इसकी ऊंचाई 7 फीट हो जाती है।
राहुल ने कहा कि चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक डाटा नहीं दिया वरना यह काम कुछ घंटों का होता। इसलिए एक विधानसभा की वोट चोरी का पता लगाने में कई हफ्ते लग गए।
सवाल यह है कि अमित शाह ने इस फाइल पर कोई जवाब क्यों नहीं दिया।
चुनाव आयोग ने CID को 18 पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया
कर्नाटक के आलंद में वोटर लिस्ट से नाम काटने के प्रयास किए गए और इस मामले में FIR भी हुई। लेकिन 2023 से 2025 आ गया और जांच पूरी नहीं हुई।
राहुल गांधी ने बताया कि फरवरी 2023 में जांच शुरू हुई। मार्च 2023 में कर्नाटक CID ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी कि सारे डिटेल्स दे दीजिए। लेकिन अगस्त में अधूरी जानकारी दी गई।
उसके बाद CID ने 18 बार रिमाइंडर लेटर भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कर्नाटक के निर्वाचन अधिकारी ने भी चुनाव आयोग को लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं।
राहुल गांधी ने कहा – “आपको अगर CID एक बार लेटर भेज दे और आप नहीं गए तो आप जानते हो क्या होगा? यहां पर इलेक्शन कमीशन को 18 बार लेटर गए हैं, कुछ नहीं हुआ है।”
अमित शाह ने विपक्षी नेताओं के डुप्लीकेट वोटर का दिया हवाला
अमित शाह ने जवाब में कहा कि कई लोगों के नाम दो-दो जगह हैं। उन्होंने प्रशांत किशोर, पवन खेड़ा, तेजस्वी यादव, टी सिद्दीकी (NCP केरल नेता), संजय सिंह (आप पार्टी) और किशोरी पेडनेकर (UBT शिवसेना) के नाम लिए।
अमित शाह ने कहा कि यह सामान्य गलतियां हैं क्योंकि 2010 के बाद एक नियम आया जिसमें RO के पास से वोट काटने का अधिकार ले लिया गया। इसलिए दो जगह नाम रह गए।
लेकिन सवाल यह है कि राहुल गांधी ने जिन बीजेपी नेताओं के नाम बताए, क्या चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा? पवन खेड़ा को तो चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा था, लेकिन बीजेपी नेताओं को?
यूपी और हरियाणा के बीच वोटिंग का खेल
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि हजारों वोटर हैं जो यूपी में वोट करते हैं और फिर आकर हरियाणा में भी वोट करते हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए पूरा स्टैगर्ड प्रोसेस है – हरियाणा में पहले चुनाव, फिर यूपी में, फिर गुजरात में।
राहुल गांधी ने प्रहलाद नाम के एक सरपंच का उदाहरण दिया जो मथुरा डिस्ट्रिक्ट के हैं और होडल असेंबली में वोट कर रहे हैं। उनकी बीजेपी नेताओं और यूपी के मंत्री लक्ष्मी नारायण के साथ फोटो भी दिखाई गई।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
हाल ही में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि डुप्लीकेट वोटर की जांच के लिए उसके पास जो सॉफ्टवेयर है वो ठीक से काम नहीं करता। इसलिए उसका इस्तेमाल 2023 के बाद बंद कर दिया गया।
लेकिन रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भी चुनाव आयोग उसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा था। तो क्या चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सही जानकारी दी?
ममता बनर्जी ने भी डुप्लीकेट वोटर का आरोप लगाया था और चुनाव आयोग को मानना पड़ा था कि गलती हुई। डिलीट करना पड़ा। अमित शाह ने इसका जिक्र क्यों नहीं किया?
दिल्ली और बिहार में भी वही खेल
दिल्ली के फरवरी 2025 के चुनाव में बीजेपी के कई कार्यकर्ता वोट करते हैं और वही बिहार के चुनाव में भी करते हैं। Alt न्यूज के जुबैर ने कई ऐसे वोटर को पकड़ा था जो दिल्ली में भी वोट करते हैं और बिहार में भी कर रहे थे।
सवाल यह है कि चुनाव आयोग को क्या अब तक इसकी जांच नहीं करनी चाहिए थी? क्या इसके लिए 10-20 साल चाहिए?
चुनाव आयुक्तों को इम्यूनिटी का मुद्दा
राहुल गांधी ने एक और सवाल उठाया कि पहली बार ऐसा फैसला लिया गया कि चुनाव आयुक्तों को पूरी इम्यूनिटी दी जाएगी। इसके पीछे क्या सोच थी, यह अमित शाह को बताना चाहिए।
राहुल का रिस्पांस – यह घबराया हुआ जवाब है
अमित शाह के जवाब पर राहुल गांधी ने कहा – “अगर आपने अमित शाह जी का रिस्पांस देखा तो यह पूरी तरह डिफेंसिव है। यह घबराया हुआ रिस्पांस है। यह डरा हुआ रिस्पांस है। यह सच्चा रिस्पांस नहीं है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्रंप वाले सवाल पर यही किया था
यह पहली बार नहीं है जब सरकार की तरफ से सीधा जवाब नहीं आया। इससे पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज किया था कि ट्रंप के दावों का खंडन लोकसभा में करें। लगा कि प्रधानमंत्री कर देंगे लेकिन उन्होंने जवाब घुमा दिया और ट्रंप का नाम तक नहीं लिया। वही काम अमित शाह ने भी किया – गुस्सा दिखाया मगर सीधा जवाब नहीं दिया।
असली सवाल क्या है
असली सवाल यह है कि अगर अमित शाह को लगता है कि राहुल गांधी के आरोप फालतू हैं तो उन्होंने चुनाव आयोग को चैलेंज क्यों नहीं किया कि वह इलेक्ट्रॉनिक सबूत विपक्ष को दें, बीजेपी को भी दें और दोनों जांच करें। राहुल गांधी का चैलेंज स्वीकार करना सबसे आसान मौका था लेकिन वह नहीं किया गया।
क्या है पृष्ठभूमि
वोट चोरी का पूरा मामला महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के बाद सामने आया। राहुल गांधी ने तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं जिसमें उन्होंने एक को साधा, एक को एटम बम और एक को परमाणु बम नाम दिया। इन प्रेस कॉन्फ्रेंसों में राहुल ने कई दस्तावेज और सबूत पेश किए जिसमें वोटर लिस्ट में हेराफेरी, डुप्लीकेट वोटर और चुनाव आयोग की कथित लापरवाही के आरोप शामिल थे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी सवाल उठाए गए कि वे वोट चोरी करने वालों की रक्षा कर रहे हैं। अमित शाह के लोकसभा में बोलने के बाद यह टकराव और तेज हो गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
- राहुल गांधी ने अमित शाह को वोट चोरी पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिबेट की खुली चुनौती दी लेकिन अमित शाह ने स्वीकार नहीं किया
- राहुल ने 11,000 डुप्लीकेट वोटर की फाइल पेश की जिसमें एक-एक व्यक्ति के चार-चार जगह वोटर ID होने के सबूत थे
- चुनाव आयोग ने कर्नाटक CID के 18 रिमाइंडर लेटर का कोई जवाब नहीं दिया
- अमित शाह ने पुराने चुनाव हारने के उदाहरण दिए लेकिन राहुल के सबूतों पर सीधा जवाब नहीं दिया






