The News Air- भारत ने अपने नागरिकों को अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है। कीव में मौजूद भारतीय दूतावास ने खासतौर पर यूक्रेन में मौजूद भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटने के लिए कहा है। यह सलाह यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव के युद्ध में बदलने की आशंका के कारण दी गई है।
इस तनाव के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, लातविया और डेनमार्क पहले ही अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने के लिए कह चुके हैं। बता दें कि यूक्रेन में 20 हज़ार से ज़्यादा स्टूडेंट्स स्टडी कर रहे हैं।
रूस बॉर्डर से लगे मेडिकल कॉलेज में 2 हज़ार छात्र फंसे
इधर, देश लौटने के लिए यूक्रेन में मौजूद भारतीय छात्रों का कहना है कि वो डरे हुए हैं और देश लौटना चाहते हैं। सरकार की ओर से जानकारी नहीं मिल पा रही है। फ्लाइट का किराया भी तीन गुना से ज़्यादा हो गया है। छात्रों ने बताया कि 70 हज़ार का किराया अचानक से 2 लाख के क़रीब पहुंच गया है। अकेले खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में ही दो हज़ार छात्र हैं।
खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रूस बॉर्डर से सिर्फ़ 35 किलोमीटर दूर है। छात्रों को डर है कि अगर वो खुलकर अपनी बात रखेंगे तो यूनिवर्सिटी प्रशासन उन्हें एक्सपेल कर सकता है। छात्र काफ़ी पैसा ख़र्च करके यहां दाखिला लेता हैं।
चौराहों पर टैंकों की तस्वीरों से छात्रों में डर का माहौल
खारकीव नेशनल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बताया कि ईमानदारी से कहें तो यहां कुछ भी नहीं हो रहा है। हमें सिर्फ़ अपनी जान का डर है और कुछ नहीं। यहां सबकुछ सामान्य है। हम चाहते हैं कि हमारी सरकार कुछ करें क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि युद्ध होगा या नहीं। लेकिन बीती रात यूक्रेन के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर जो संदेश पोस्ट किया है उसके बाद से भारतीय छात्रों में डर का माहौल है।
चौराहों पर टैंकों की तस्वीरें उन तक पहुंच रही हैं, जिन्हें देखकर उन्हें डर लग रहा है। कुछ छात्रों का कहना है- वो हेलीकॉप्टरों की आवाज़ सुन सकते हैं। अभी हमें नहीं पता है कि क्या हो रहा है। यहां बहुत सी अफ़वाहें भी फैल रही हैं। हम नहीं चाहते कि कोई अफ़वाह फैले या डर का कोई माहौल बने।
भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी
भारतीय दूतावास ने यूक्रेन छोड़ने के लिए एक एडवाइजरी लेटर यूक्रेन में मौजूद भारतीयों को भेजा है। लेटर में कहा गया है कि यूक्रेन के मौजूदा अनिश्चित माहौल को देखते हुए भारतीय नागरिकों, ख़ासकर छात्रों को यूक्रेन छोड़कर अस्थायी तौर पर स्वदेश लौटने की सलाह दी जा रही है।
लेटर में आगे कहा गया है कि भारतीय नागरिक बिना किसी ज़रूरी काम के यूक्रेन की यात्रा न करें और वहाँ मौजूद नागरिक भी अनावश्यक घर से बाहर न जाएं।
दूतावास ने यूक्रेन में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों से यह भी अपील की है कि वो अपनी मौजूदगी के बारे में दूतावास को जानकारी देते रहें, ताकि ज़रूरत पड़ने पर उन तक मदद पहुँचाई जा सके। इसमें कहा गया है कि भारतीय दूतावास अपने नागरिकों की मदद करने के लिए यूक्रेन में अपना सामान्य कामकाज जारी रखेगा।
रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत का न्यूट्रल रवैया
भारत ने यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में यूक्रेन मामले को लेकर रूस के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रस्ताव पर मतदान से ख़ुद को अलग रखा। इसके साथ ही भारत ने शांतिपूर्ण बातचीत के ज़रिए तनाव को तत्काल कम करने की अपील की।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस. तिरुमूर्ति ने स्पष्ट किया- भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है, जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र और उससे बाहर दीर्घकालिक शांति और स्थिरता कायम करना है।
यूक्रेन मामले में रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की पश्चिमी देशों की धमकियों के बीच भारत ने स्पष्ट कहा है कि वह रूस के ख़िलाफ़ किसी भी आर्थिक प्रतिबंध का पक्षकार नहीं बन सकता।
20 हज़ार भारतीय छात्र हैं यूक्रेन में
पूर्वी यूरोप में इस विवाद के कारण युद्ध होने की संभावना के बीच यूक्रेन में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 20 हज़ार भारतीय छात्र परेशानी में पड़ गए हैं। इनमें से ज़्यादातर छात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पंजाब और राजस्थान से हैं। इन छात्रों को वापस भारत लाने के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में याचिका भी दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है- पूरे देश से 18 से 20 हज़ार भारतीय स्टूडेंट्स यूक्रेन की अलग-अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए गए हैं। भारत सरकार की तरफ़ से अभी तक इनके जीवन से जुड़े गंभीर मसले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रूस और यूक्रेन में तनाव की वजह
रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास एक लाख से ज़्यादा सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है। इससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज़ हो गई है। रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके NATO सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए तैयारी कर रहा है।
वहीं रूस की मुख्य मांगों में NATO में यूक्रेन को शामिल नहीं करना और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाना शामिल है, जिससे रूस को ख़तरा हो सकता है।