Vladimir Putin’s India Visit 2024 रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बाद यह पहला मौका होगा जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की धरती पर कदम रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर पुतिन 4 और 5 दिसंबर को भारत में होंगे। दो दिवसीय इस हाई-प्रोफाइल दौरे पर पूरी दुनिया, खासकर अमेरिका की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इस दौरान दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक और रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अमेरिका लगातार भारत पर रूसी तेल न खरीदने का दबाव बना रहा है। इसके बावजूद, भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत किया है। पुतिन का यह दौरा दोनों देशों की ‘विशेष रणनीतिक साझेदारी’ के दायरे पर चर्चा करने और इसे नए मुकाम पर ले जाने का एक बड़ा अवसर है।
किन मुद्दों पर होगी मोदी-पुतिन की बात?
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में कई महत्वपूर्ण विषयों पर फोकस किया जाएगा। इनमें अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक व मानवीय मामले शामिल हैं। रूसी पक्ष ने स्पष्ट किया है कि बातचीत का दायरा काफी व्यापक होगा।
इस दौरान दोनों नेता मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति, खासकर यूक्रेन युद्ध के साये में ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार संतुलन पर भी चर्चा करेंगे। भारत हमेशा से अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के लिए जाना जाता है, और यह दौरा उसी का एक और प्रमाण होगा कि वह किसी भी देश के दबाव में नहीं आने वाला है।
डिफेंस डील्स पर सबकी नजर: S-400 और Su-57
पुतिन के इस दौरे का सबसे अहम पहलू रक्षा समझौता हो सकता है। खबरें हैं कि भारत रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के पांच अतिरिक्त सेट खरीदने पर विचार कर रहा है। यह वही सिस्टम है, जिसने पाकिस्तान के इरादों पर पानी फेर दिया था और जिसकी तारीफ खुद पुतिन ने की थी।
इसके अलावा, एक और बड़ी डील Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स को लेकर हो सकती है। रूस ने भारत को अपना यह सबसे उन्नत लड़ाकू विमान देने की पेशकश की है। भारतीय वायु सेना अपने बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए लगातार नए विकल्पों की तलाश में है, और Su-57 एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इसके अलावा, ब्रह्मोस मिसाइल के अगले संस्करण और S-500 डिफेंस सिस्टम पर भी भविष्य में सहयोग की संभावना तलाशी जा सकती है।
नए पेमेंट सिस्टम पर बन सकती है बात
अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण व्यापार में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए एक नए पेमेंट सिस्टम पर भी सहमति बन सकती है। इसमें रुपये-रूबल ट्रेड, डिजिटल भुगतान या किसी तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल करने जैसे विकल्प शामिल हैं।
चर्चा यह भी है कि भारत के UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और रूस के पेमेंट सिस्टम को आपस में जोड़ा जा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच पैसे का लेन-देन बेहद आसान हो जाएगा। इसके तहत, भारत का रुपे कार्ड रूस में और रूस का ‘मीर’ कार्ड भारत में काम कर सकेगा।
व्यापार और ऊर्जा में बढ़ेगा सहयोग
रूस भारत को आर्कटिक क्षेत्र की ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का मौका भी दे सकता है, जहाँ वह तेल और गैस के विशाल भंडार विकसित कर रहा है। इसके अलावा, भारतीय मजदूरों के लिए रूस में नौकरी करना आसान बनाने के लिए एक नया समझौता भी हो सकता है।
बातचीत के बाद दोनों देशों की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा। इसके अलावा, कई द्विपक्षीय, इंटर-डिपार्टमेंटल और बिजनेस एग्रीमेंट्स पर भी हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जो भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों की दिशा तय करेंगे। राष्ट्रपति पुतिन अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे।
जानें पूरा मामला
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है, जिसे लेकर पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, भारत की आलोचना करता रहा है। अमेरिका का आरोप है कि भारत तेल खरीदकर रूस के युद्ध को फंड कर रहा है। लेकिन भारत ने हमेशा अपने नागरिकों के हितों का हवाला देते हुए इन दबावों को खारिज किया है। ब्रिक्स सम्मेलन में भी भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत देखने को मिली थी। ऐसे में, पुतिन का भारत आना यह साफ संदेश देता है कि भारत अपनी शर्तों पर रिश्ते निभाता है। यही वजह है कि इस दौरे से अमेरिका की चिंता बढ़नी तय है, क्योंकि भारत को रूस और चीन के खेमे में जाने से रोकने की उसकी कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत के दौरे पर रहेंगे।
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यह दौरा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा है।
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S-400 मिसाइल सिस्टम और Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स की खरीद पर बड़ी डील्स संभव हैं।
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रुपये-रूबल ट्रेड और UPI को रूसी पेमेंट सिस्टम से जोड़ने पर सहमति बन सकती है।
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अमेरिका के दबाव के बावजूद, यह यात्रा भारत और रूस की मजबूत रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है।






