नई दिल्ली 26 मई
साल 2021 के पहले चंद्र ग्रहण की शुरुआत हो चुकी है। यह ग्रहण कई मायनों में खास है, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा का आकार और रंग में भारी बदलाव होगा। विशेष कहे जा रहे इस सुपर ब्लड मून के गवाह भारत के अलावा कई और देश भी बनेंगे। खबर है कि यह चांद ऑस्ट्रेलिया, ओशिनिया, अलास्का, कनाडा और दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। साथ ही दक्षिण एशिया में भी इसकी मौजूदगी देखी जा सकेगी। भाषा के अनुसार, भारत में अगला चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को दिखेगा। वो एक आंशिक चंद्रग्रहण होगा। चंद्रोदय के ठीक बाद अरुणाचल प्रदेश और असम के सुदूर पूर्वोत्तर हिस्सों में बेहद कम समय के लिये आंशिक चरण नजर आएगा। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और जब तीनों एक सीध में होते हैं।
ग्रहण के दौरान और ग्रहण के खत्म होने तक भगवान की मूर्ति को नहीं छूना चाहिए। ग्रहण में घर के मंदिरों के कपाट बंद कर देना चाहिए। ताकि भगवान पर ग्रहण का असर ना हो सके। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान ना तो ग्रहण देखना चाहिए और ना ही घर के बाहर निकलना चाहिए।
साल का यह पहला चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 2:17 मिनट पर शुरू होगा और शाम 7:19 बजे तक नजर आएगा। अगर आसमान साफ रहा, तो दुनिया भर के जानकार सारी रात सुपरमून देख सकेंगे। इसे पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अमेरिका में देखा जा सकेगा। खबर है कि बुधबार को दोपहर 1:53 बजे सुपर मून की स्थिति तैयार होगी। इस दौरान चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी केवल 3 लाख 57 हजार 309 किमी होगी। चांद की इस स्थिति को पेरिगी कहा जाता है।
खास बात है कि बुधवार को उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इस दौरान सूतक काल मान्य नहीं होगा। जानकारों के मुताबिक, सूतक के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना को ब्लड मून भी कहा जा रहा है। इस दौरान चांद का रंग लाल और नारंगी की तरह नजर आएगा। साथ ही इस दौरान चांद के आकार में भी इजाफा होगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण का यह मौका दो साल बाद आया है। इससे पहले पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी 2019 को लगा था।