Virat Kohli Retirement : भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में एक युग का अंत हो गया है। पहले रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और अब विराट कोहली (Virat Kohli) — सिर्फ 5 दिन के अंदर टेस्ट क्रिकेट (Test Cricket) से दो दिग्गजों ने विदाई ले ली है। अब मैदान पर सफेद जर्सी में ‘रो-को’ की जोड़ी नहीं दिखेगी। विराट कोहली ने अपने संन्यास से केवल एक फैसला नहीं लिया, बल्कि भारतीय क्रिकेट में एक गहरी रेखा खींच दी है, जो उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है।
36 साल के कोहली आज भी फिटनेस, एनर्जी और जुनून में किसी युवा खिलाड़ी को मात दे सकते हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनकी बल्लेबाजी अब भी उतनी ही दमदार थी, लेकिन उन्होंने जो किया वो भारत में कम ही देखने को मिलता है — अपने करियर के सर्वोच्च शिखर पर रहते हुए संन्यास लेना। वह तब रिटायर हुए जब कोई यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता था कि ‘अब इन्हें संन्यास ले लेना चाहिए’। बल्कि हर कोई हैरान है कि ‘इतनी जल्दी क्यों’।
बीसीसीआई (BCCI) उन्हें टेस्ट से रिटायरमेंट न लेने के लिए मना रही थी, लेकिन कोहली ने दिल की सुनी और युवाओं के लिए रास्ता खोल दिया। उन्होंने टी-20 क्रिकेट से भी उसी अंदाज़ में विदाई ली जब उन्होंने टीम इंडिया (Team India) को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
कप्तानी को लेकर भी उनका नजरिया ऐसा ही रहा। कोहली ने तब कप्तानी छोड़ी जब वह अपने सर्वोत्तम दौर में थे। बतौर कप्तान उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में से 40 में भारत को जीत दिलाई। 17 में हार और 11 ड्रॉ रहे। विदेशों में भारत की जीत को उन्होंने तुक्का नहीं, आदत बना दिया।
टेस्ट क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड उन्हें इस फॉर्मेट का सर्वश्रेष्ठ भारतीय कप्तान बनाते हैं। 123 टेस्ट मैचों की 210 पारियों में उन्होंने 46.85 के औसत से 9230 रन बनाए। उनके नाम 30 शतक, 31 अर्धशतक और रिकॉर्ड 7 दोहरे शतक दर्ज हैं। यह किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ से अधिक है — सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) दोनों ने 6-6 दोहरे शतक लगाए थे।
कोहली के इस फैसले ने उनके लाखों फैंस को भावुक कर दिया है। हर कोई उन्हें और खेलते हुए देखना चाहता था, लेकिन किंग कोहली ने कभी व्यक्तिगत रिकॉर्ड के लिए टीम पर बोझ बनने का विकल्प नहीं चुना। पिछले 10 टेस्ट पारियों में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था — 17, 6, 5, 3, 7, 11, 5, 100 नाबाद, 4 और 1 रन — शायद यही कारण रहा कि उन्होंने सही समय पर लाल गेंद को अलविदा कह दिया।
अब सफेद जर्सी में न विराट दिखेंगे, न टेस्ट क्रिकेट में उनका जुझारूपन। लेकिन उनका ये फैसला आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गया है — कैसे किंग्स मैदान छोड़ते हैं। शुक्रिया विराट कोहली! आपने सिर्फ रन नहीं बनाए, एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया।