UPPSC Student Protest Prayagraj: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के खिलाफ प्रयागराज की सड़कों पर एक बार फिर छात्रों का गुस्सा उबल पड़ा है। 15 दिसंबर को आयोग के दफ्तर के बाहर प्रस्तावित महाआंदोलन से ठीक पहले पुलिस ने छात्र नेताओं को हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया है। छात्रों ने अब आयोग को 14 दिसंबर की रात 12 बजे तक का अल्टीमेटम देते हुए अपनी मांगें न माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
आधी रात को पुलिस की दस्तक और हिरासत
प्रयागराज में आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच पुलिस प्रशासन पूरी तरह से एक्टिव हो गया है। छात्र नेता आशुतोष और पंकज पांडे समेत कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्हें थाने ले जाया गया। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें डिटेन (Detain) करके करीब 3-4 घंटे तक इधर-उधर घुमाया।
इस दौरान उनसे आंदोलन के बारे में नहीं, बल्कि उनके परिवार, गांव, और निजी जानकारी के बारे में 8-10 पन्नों की डिटेलिंग करवाई गई। आशुतोष ने बताया, “पुलिस हम पर दबाव बना रही थी कि आंदोलन को ब्रेक कर दो, इसे रोक दो। एसीपी और एसएचओ स्तर के अधिकारी हमसे पूछ रहे थे कि कौन-कौन आ रहा है और फंडिंग कहां से हो रही है।”
आखिर क्या मांग रहे हैं छात्र?
छात्रों की मांगें बिल्कुल सीधी और स्पष्ट हैं। वे चाहते हैं कि आयोग प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) का रिजल्ट आते ही तीन चीजें तुरंत जारी करे:
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रिवाइज्ड आंसर की (Revised Answer Key)
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स्कोर कार्ड (Score Card)
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श्रेणीवार कट-ऑफ (Category-wise Cut-off)
आशुतोष और अन्य छात्रों का कहना है कि 2018 से पहले आयोग ये सारी चीजें जारी करता था, लेकिन अब उसने इसे बंद कर दिया है। आयोग का तर्क है कि वह अंतिम परिणाम के बाद ये सब जारी करेगा, लेकिन छात्रों ने सबूत देते हुए बताया कि 2021, 2022 और 2023 के फाइनल रिजल्ट आ चुके हैं, फिर भी आज तक रिवाइज्ड आंसर की जारी नहीं की गई है।
बिहार दे सकता है तो यूपी क्यों नहीं?
आंदोलन में शामिल छात्र अनुष कुमार पांडे ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) का उदाहरण देते हुए आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने अपनी बीपीएससी की मार्कशीट दिखाते हुए कहा, “बिहार में रिजल्ट के साथ पूरी आंसर की, कट-ऑफ और ओएमआर शीट तक अपलोड कर दी जाती है। हमें पता चलता है कि हम कितने नंबर से चूके। लेकिन यूपी में पारदर्शिता पूरी तरह खत्म कर दी गई है।”
छात्रों का कहना है कि आयोग अपनी गलतियां छिपाने के लिए ऐसा कर रहा है। हर बार 10 से 12 सवाल गलत पूछे जाते हैं और जब छात्र ऑब्जेक्शन करते हैं, तो उन्हें पता ही नहीं चलता कि कौन सा प्रश्न डिलीट हुआ और किसका उत्तर बदला गया।
‘तानाशाही नहीं चलेगी’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रियांशु विद्रोही ने कहा, “हम सिर्फ अपने हिस्से का हक मांग रहे हैं। आयोग भ्रष्टाचार और धांधली का अड्डा बन चुका है। अगर हम अपना नंबर मांग रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं?” एक अन्य छात्र अनुराग यादव ने कहा कि एक किसान का बेटा 8/8 के कमरे में रहकर सालों तैयारी करता है, लेकिन आयोग की मनमानी उसका भविष्य अंधेरे में धकेल रही है।
जानें पूरा मामला
प्रयागराज में छात्र 15 दिसंबर को UPPSC कार्यालय के बाहर जुटने वाले हैं। छात्रों ने प्रशासन को कई बार लिखित ज्ञापन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि अगर 14 दिसंबर की रात 12 बजे तक आयोग ने उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो 15 तारीख को एक बड़ा और ऐतिहासिक आंदोलन होगा, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से आयोग और प्रशासन की होगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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Police Action: 15 दिसंबर के आंदोलन से पहले पुलिस ने छात्र नेताओं को हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की।
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Demands: छात्र रिवाइज्ड आंसर की, स्कोर कार्ड और कट-ऑफ को प्रीलिम्स रिजल्ट के तुरंत बाद जारी करने की मांग कर रहे हैं।
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Comparison: छात्रों ने बिहार मॉडल का हवाला देते हुए यूपी आयोग पर पारदर्शिता खत्म करने का आरोप लगाया।
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Ultimatum: छात्रों ने 14 दिसंबर की आधी रात तक का समय दिया है, जिसके बाद बड़े आंदोलन की तैयारी है।






