यूपी, 3 मई (The News Air) यूपी की अमेठी लोकसभा सीट को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है। कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को यहां से अपना उम्मीवार बनाया है। उन्हें ‘केएल’ नाम से जाना जाता है। यूपी की जिन सीटों पर लोगों की सबसे ज्यादा निगाहें रहती हैं उनमें अमेठी और रायबरेली शामिल हैं। दोनों ही सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कांग्रेस ने 3 मई को कर दिया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली से भी चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों ही सीटों के लिए शर्मा गांधी परिवार के मैनेजर की भूमिका निभाते रहे हैं। इस बार उन पर चुनावी मैदान में कांग्रेस की संभावनाओं को जीत में बदलने का चैलेंज है।
शर्मा का सीधा मुकाबला अमेठी में BJP की उम्मीदवार स्मृति ईरानी से होगा। अमेठी में ईरानी ने 2019 के चुनावों में राहुल गांधी को हराया था। इस बार राहुल केरल के वायनाड और रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि गांधी परिवार की इस पारंपरिक सीट पर शर्मा ईरानी के लिए कितनी बड़ी चुनौती पेश करते हैं। 2019 के चुनावों में राहुल को हराने के बाद ईरानी का हौसला बुलंद है।
शर्मा मूलत: पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। वह 1983 से ही कांग्रेस से जुड़े हैं। लेकिन, 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस में उनकी भूमिका बढ़ गई। वह सोनिया गांधी के सबसे वफादार लोगों में से एक बन गए। रायबरेली और अमेठी में सोनिया गांधी के लिए राजनीत की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी शर्मा पर रही। वह शायद ही कभी दिल्ली और खासकर 10, जनपथ का दौरा करते हैं। अगर कभी वह जाते हैं तो उनका यह दौरा बहुत गुप्त रखा जाता है।
केएल पर पहली बार 1983 में राजीव गांधी की नजर पड़ी थी। उसके बाद वह रायबरेली आ गए। तब से वह रायबरेली के होकर रह गए। वह यूथ कांग्रेस के भी हिस्सा रह चुके हैं। बताया जाता है कि आज भी सोनिया गांधी केएल पर बहुत भरोसा करती हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। उन्हें कांग्रेस का सच्चा सिपाही माना जाता है।
अमेठी से बतौर उम्मीदवार अपने नाम का ऐलान होने के बाद केएल ने कहा, “मैं गांधी परिवार के फैसलों से बंधा हूं। मैं नहीं मानता कि मैं एक कमजोर उम्मीदवार हूं। मैं अमेठी को स्मृति ईरानी से कहीं ज्यादा जानता हूं।” माना जा रहा है कि केएल के खिलाफ ईरानी को चुनाव जीतने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। अमेठी की सीट पर चुनावी नतीजा चाहे जो भी आए, लेकिन केएल के कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने से कुछ चीजें साफ हो गई हैं।
पहला, 2019 के लोकसभा चुनावों में ईरानी के हाथों हार का सामना करने के बाद राहुल गांधी अब इस सीट से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। दूसरा, जिस सीट को गांधी परिवार हमेशा अपनी मानता रहा है, अब उसकी पहचान बदलने जा रही है। इसका न सिर्फ अमेठी में कांग्रेस की संभावनाओं पर असर पड़ेगा बल्कि यह पूरे यूपी में कांग्रेस के भविष्य के लिए अहम है।