India Population Decline : भारत (India) की जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने एक चौंकाने वाली चेतावनी दी है। मौजूदा समय में भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। इसकी आबादी लगभग 1.5 अरब के करीब पहुंच चुकी है। इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या के चलते संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन अब भविष्य में यह आबादी संकट का रूप भी ले सकती है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2065 से भारत की जनसंख्या में तेज गिरावट शुरू हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत की औसत जन्मदर 1.9 पर आ गई है, जबकि किसी भी देश में स्थिर जनसंख्या के लिए यह दर 2.1 होनी चाहिए। यह रिप्लेसमेंट लेवल (Replacement Level) कहलाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आज की पीढ़ी की वजह से फिलहाल तो जनसंख्या स्थिर दिख रही है, लेकिन जैसे-जैसे वर्तमान जनसंख्या उम्रदराज होती जाएगी और नई पीढ़ी की जन्मदर कम रहेगी, वैसे-वैसे आबादी में गिरावट दिखने लगेगी।
यह रिपोर्ट भारत सहित अमेरिका (USA), इंडोनेशिया (Indonesia) जैसे कुल 14 देशों पर आधारित है। इसमें बताया गया कि 1960 में भारत की जनसंख्या 43 करोड़ थी और उस वक्त एक महिला औसतन 6 बच्चों को जन्म दे रही थी। अब सामाजिक बदलाव, शिक्षा, और परिवार नियोजन की जागरूकता के चलते यह संख्या घट गई है। अब महिलाएं सिर्फ 2 बच्चों तक ही सीमित रहना चाहती हैं।
तीन पीढ़ियों में सोच का बदलता ट्रेंड
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में बिहार (Bihar) के एक गांव में रहने वाले परिवार की तीन पीढ़ियों का विश्लेषण किया गया है। 64 वर्षीय सरस्वती देवी बताती हैं कि उनकी पीढ़ी में बच्चों की संख्या को भगवान का आशीर्वाद माना जाता था। उन्होंने खुद 5 बेटे पैदा किए और कभी परिवार नियोजन पर विचार नहीं किया।
सरस्वती की बहू अनीता (Anita), जो अब 42 वर्ष की हैं, कहती हैं कि उनकी शादी महज 18 साल की उम्र में हुई थी और उनके 6 बच्चे हुए। वह कहती हैं कि इतनी संतानें उनकी मर्जी से नहीं बल्कि पति और सास के दबाव में हुईं, जो बेटे की चाहत रखते थे।
तीसरी पीढ़ी की सदस्य पूजा (Pooja), जो अभी 26 साल की हैं, कहती हैं कि वह दो से ज्यादा बच्चे नहीं पैदा करेंगी। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और बेहतर जिंदगी देना चाहती हैं, इसलिए सीमित परिवार में विश्वास रखती हैं।
2065 के बाद कैसी होगी तस्वीर?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो 2065 के बाद भारत में न केवल जनसंख्या घटने लगेगी बल्कि इससे देश के युवा आबादी वाले ढांचे पर भी असर पड़ेगा। जनसंख्या की गिरावट से कार्यबल (Workforce) में कमी आएगी और वृद्ध लोगों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होगी। इससे सामाजिक और आर्थिक तंत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। फिलहाल भले ही देश की जनसंख्या बहुत अधिक प्रतीत होती हो, लेकिन गिरती जन्मदर भविष्य में बड़ा संकट बन सकती है। सरकारों को आज से ही परिवार नीति, शिक्षा और जनसंख्या प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य की पीढ़ियों को संतुलित और सुरक्षित जीवन मिल सके।