रूस और यूक्रेन की बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) को दो महीने होने वाले हैं। इतने दिनों में युद्ध के दौरान कई तरह की कहानियां और किस्से सामने आए हैं। इनमें कुछ मानवता को शर्मसार करने वाली, तो कुछ साहस और वीरता से भरी कहानियां भी थीं। ऐसा ही एक वाकया एक बार फिर युद्ध का मैदान बने यूक्रेन (Ukraine) से सामने आया है। जब यूक्रेन के ही एक करोड़पति ने अपने देश की सेना से अपने घर पर गोलाबारी करने को कहा।
दरअसल युद्ध के दौरान रूसियों ने कीव के पश्चिम में यूक्रेनी करोड़पति एंड्री स्टावनित्सर (Andrey Stavnitser ) के घर पर कब्जा कर लिया। स्टावनित्सर ने कहा कि यह जानने के बाद मेरा जवाब साफ था कि सेना घर पर गोलाबारी करे और उड़ा दे।
IT कंपनी ट्रांसइन्वेस्ट सर्विस के CEO स्टावनित्सर ने ITV नेटवर्क के गुड मॉर्निंग ब्रिटेन के एंकरों से कहा, “सेना की मदद के लिए आप आजकल बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं।”
रूस के आक्रमण के बाद स्टावनित्सर यूक्रेन से पोलैंड के लिए रवाना हो गए, लेकिन कैमरों के जरिए अपने घर की निगरानी करते रहे।
उन्होंने ITV को बताया कि उनके घर के ज्यादातर कैमरे तोड़ दिए गए थे, लेकिन एक वेब कैमरा अभी भी कभी-कभार काम कर रहा था। उसके जरिए उन्होंने रूसी सैनिकों को लूटे गए उपकरण अपने घर पर लाते हुए देखा।
स्टावनित्सर ने ब्रिटिश नेटवर्क को बताया कि उन्होंने अपने घर में सैन्य उपकरणों को भी देखा। स्टावनित्सर ने कहा, “मेरे घर के क्षेत्र में 12 सैन्य वाहन थे, जिनमें रॉकेट लॉन्चर, ग्रेनेड और टोर्नेडो शामिल थे। वे मेरे घर से कीव में गोलाबारी शुरू कर रहे थे।”
घटनाएं से ‘परेशान’ होकर लिया फैसला
स्टावनित्सर ने कहा कि रूसियों ने उनके स्टाफ के सदस्यों ‘कपड़े उतारे और उनसे पूछताछ की गई।’ इन घटनाओं से “परेशान” होकर, उन्होंने कहा कि मैंने यूक्रेनी सेना को अपने घर को ब्लास्ट करने के लिए कहा।
उन्होंने ITV को बताया, “यह मेरे लिए एकदम साफ फैसले की तरह था। मैं यूक्रेन को जीतने में मदद करने के लिए सब कुछ करना चाहता हूं।”
स्टावनित्सर ने बताया कि उन्होंने यह घर हाल ही बनवाया था। इंस्टाग्राम पर नष्ट हुए घर की एक तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे इसे फिर से दोबारा बनवाएंगे। उन्होंने कहा, “हम देश का पुनर्निर्माण करेंगे, अहम बात यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जाए।”
रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था। तब से अब तक हजारों नागरिक हिंसा में मारे जा चुके हैं और 50 लाख से ज्यादा दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं।